सुकरात और अरस्तु जैसे महान दार्शनिकों का कहना था -कि *यह राज्य के शासन प्रशासन की महत जिम्मेदारी है कि कोई व्यक्ति उस राष्ट्र में भूँखा न रहे!*
शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021
कोई भी नागरिक भूखा न मरे- यह शासन की जिम्मेवारी है
गुरुवार, 30 दिसंबर 2021
वंदनीय हे अमर शहीदों
एक नेताजी मरणोपरांत जब स्वर्ग सिधारे,
कार्ल मार्क्स की तरह किसी ने भी 'जनता का इतिहास' नहीं लिखा !
जब कभी हम भारतीय उपमहाद्वीप के अर्थात 'अखण्ड भारत' के राजनैतिक सामाजिक,आर्थिक सरोकारों वाले इतिहास पर नजर डालते हैं तो हम तत्सम्बन्धी इतिहास के अधिकांस हिस्से में गजब की 'धर्मान्धता' और बर्बर-विदेशी आक्रांताओं की सदियों लंबी गुलामी का इतिहास अपने ललाट पर लिखा पाते हैं!
मुझे आजकल ऐसा क्यों लगने लगा है, जैसे मैं आपके
हरि भी मिलेंगे ज़रा धीर धर
लिबास धर फरीद का,मन कबीर कर,
मंगलवार, 28 दिसंबर 2021
भ्रस्ट राजनैतिक दलाल की सादगी ?
जब कोई इंसान अपनी मेहनत की कमाई से मकान (घर) बनवाता है,तो वह अपनी जान से ज्यादा अपने घर को प्यार करता है! वह कभी भूलकर भी अपने मकान को नुकसान नही पहुँचाता! जबकि किराएदार हो या वेशर्म असभ्य अतिथि वह नुकसान किये बिना नही रहता! लगभग यही हालात भारत देश की है!
सादगी देखनी हो तो महा चोट्टे दलाल कानपुरिया पीयूष जैन की देखो, साले ने घर में 257 करोड़ रुपया नकद, 250 किलो चांदी,25 किलो सोना छिपा रखा था,लेकिन बंदा न तो फार्च्यूनर से चलता था और न स्कार्पियो से!
'खिलाफत' बनाम 'मुखालफत'
भारत के अधिकांस हिंदी भाषी लोग उर्दू या अरबी के 'खिलाफत' शब्द का मूर्खतापूर्वक दुरूपयोग करते रहते हैं। दरसल 'खिलाफत' शब्द का वास्तविक अर्थ है 'इस्लामिक संसार के प्रमुख की सत्ता'! सार्वजानिक तौर पर भारतीय जन मानस द्वारा इस 'खिलाफत' शब्द का सबसे पहले प्रयोग १९१९ के आस पास खिलाफत आंदोलन के दौरान किया गया था। तब इस शब्द को उसके सही अर्थ में प्रयोग किया गया था। तब का इस्लामिक जगत इस बात पर यरोपियंस से नाराज था कि उनके तथाकथित 'खलीफा' > याने इस्लामिक जगत के सर्वमान्य नेता को ईसाई राष्ट्रों की सम्मिलित ताकत ने ध्वस्त कर डाला था! महात्मा गांधी और सीमांत गांधी अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में तत्कालीन कांग्रेस ने *खिलाफत आंदोलन* चलाया था! याने इस्लामिक जगत के खलीफा की गद्दी बचाने के लिये, तुर्की पर हमला करने वाले अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी!
संतन्ह कहूं का सीकरी सों काम ?
संत के वेश में एक तथाकथित राजनैतिक कपट मुनि पहले हरिद्वार में संत समागम मंच पर जहर उगलने पहुंचा और उसके बाद रायपुर (छ. ग.) में नफरत का जहर उगलने जा पहुंचा ! इन दोनों मंचों का विशेष फर्क यह रहा कि हरिद्वार की घटना पर केवल हो हल्ला मचाया गया! जबकि (छ. ग.) रायपुर के मंच से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तत्काल विरोध जताया और नफरत फैलाने वाले उस नकली संत पर और उसे आमंत्रित करने वाले आयोजकों पर सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है!
*जय आनंदम Indore ''
जय आनंदम बनाम सरकारी आनंदम ''
रविवार, 26 दिसंबर 2021
अविद्या क्या है ?
एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा की बीरबल यह अविद्या क्या है ?*