घटना 6-7 साल पुरानी है,किंतु इस नितांत सत्य घटना से न्यायपालिका और सभ्य समाज का ध्यानाकर्षण हुआ कि नही, यह कहना मुश्किल है!
घटना कुछ इस प्रकार है कि इंदौर में एक युवती ने अपने किसी निकट के रिस्तेदार -सभ्रांत गृहस्थ से कुछ रुपया उधार लिया । जब पुरुष ने पैसा लौटाने को कहा तो युवती ने उस सभ्रांत पुरुष को पहले तो रेप का आरोप लगाकर जेल भेजने की धमकी दी और बाद में ऐंसा कर भी दिखाया।
कोर्ट में मामला विचाराधीन ही था कि इस मामले ने नया मोड़ आ गया । चूँकि मीडिया ने इस मामले को इतना उछाला था कि वेचारे निर्दोष सभ्रांत पुरुष को उसकी पत्नी ,सपरिजन,रिस्तेदार और बच्चे भी कसूरवार मान बैठे। आखिरकार जिल्लत और बदनामी से आजिज आकर निर्दोष पुरुष ने अपनी बेगुनाही की चिठ्ठी लिखकर आत्महत्या कर ली।
कुछ दिनों बाद उस बदमाश युवती ने किसी अन्य शख्स क साथ भी यही खेल खेला। उसी तरह रुपए ऐंठे और वापिस माँगने पर वही धमकी दुहराई। इस दुसरे वाले मुर्गे को भी हलाल करने कि मंसा से बक दिया
' तूँ मुझे जानता नहीं है,मैंने तो अमुक -अमुक के भी पैसे खा लिए और उनको आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया, तूँ है किस खेतकी मूली ? मेरा रेप-ऐप नहीं हुआ! तूँ ध्यान से सुनले यदि आइन्दा रूपये वापिस मागें तो तेरा भी वही हश्र होगा।"
उस आदमी ने यह बात मोबाइल में 'टेप' कर ली। डीआईजी और उन जज साहेब को भी सुनाई,जो उस केश की सुनवाई कर रहे थे । उस परिवार को भी यह क्रूर कृत्य सुनाया जिनके निर्दोष 'पुरुष पात्र' ने झूठी बदनामी के डर से आत्महत्या कर ली थी! उस धूर्त चालाक बदमाश महिला के इस आपराधिक कुकृत्य के बारे में मीडिया ने या नारीवादी संगठनों ने कभी एक शब्द भी नहीं कहा!
हालांकि न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर बाद में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिखाया । मुकदमा चला और महिला को कारावास की सजा हुई ।
इस तरह की दुष्ट महिलाओं या धूर्त युवतियों पर जब *बेंडिट क्वीन* की सवारी आती है तब वे बिना सोचे समझे सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी कमजोर से हुज्जतबाजी करने लगतीं हैं।उनके इस अपराध में कई बार भ्रस्ट पुरुषों और महिलाओं की पूरी गेंग, अय्यास अफसरों और सत्ता पक्ष के नेताओं और मंत्रियों का भी नाम उछला! किंतु ऐंसे अवैध मामलों को ले देकर गुपचुप सुलटा दिया जाता है!
महानगरीय पांच सितारा होटलों में और कभी कभी बीच सड़क पर आये दिन अमीर बिगड़ैल बदनाम युवतियाँ शराब पीकर उत्पात मचातीं देखी जातीं हैं !किन्तु उनकी हरकत इस लिए उजागर नहीं होती कि बाप दादों से भ्रष्टाचार का काला 'पैसा बोलता है! उलटे इनकी इन अनैतिक ओछी हरकतों को चटखारे लेकर महिमा मंडित किया जाता है।
कुछ संस्थाएं तो इन्हें न केवल प्रगतिशील बताकर आनन-फानन सम्मानित करने में अपने आपको गौरवान्वित समझने लगतीं हैं। कुछ नारीवादी अभिभूत होने लगते हैं,वे यह नहीं समझते कि जिस तरह पुरषों में गुंडे,लफंगे लुच्चे और ठग होते हैं,उसी तरह महिलाओं में भी अपराधी मानसिकता का बोलबाला संभव है। न केवल अपराध जगत में बल्कि राजनीति और धर्म -मजहब में भी महिलाओं का अपराधीकरण हमेशा नजर अंदाज किया जाता रहा है।
जब कभी कोई साम्प्रदायिक उन्माद फैलता है तो उसके लिए केवल तोगड़ियाओं,कपिल मिश्राओं आजम खाँओं,ओवेसियों को संदेह के घेरे में लपक लिया जाता है! लेकिन यदि महिलाओं में ममता बनर्जी,निरंजना ज्योति उमा भारती, साध्वी प्रज्ञा,कंगना रनौत या कोई अन्य कुछ अनर्गल प्रलाप करें तो इन वीरंगनाओं के सौ खून माफ़ हैं ?
समाज में सिर्फ चंद्रा स्वामी,जयेंद्र सरस्वती , रामपाल ,आसाराम,नित्यानंद ,भीमानदं,राम रहीम ही गुनहगार नहीं हैं,बल्कि इन सभी के गुप्त अपराधों में कुछ खास स्त्री पात्र भीं शामिल पाये जाते हैं,वर्षों से जेल में बंद बलात्कारी आसाराम और उसके लुच्चे लफंगे लड़के नारायण साईं को सपौर्ट करने के लिए पहुँची सैकड़ों महिलाएं छाती पीटती देखीं गईं!
बहुभाषी,बहुसांस्कृतिक, बहुधर्मावलम्बी समाज, स्वछंद मीडिया और पूँजीवादी प्रजातंत्र का यह यक्ष प्रश्न अनुत्तरित है कि क्या आदर्श न्याय और दंड विधान का प्रावधान केवल पुरुष अपराधीकरण की विवेचना मात्र ही है!
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