शहीद *ऊधमसिंह की जयंती* के अवसर पर सादर शब्दांजलि!
तुम अकेले ही चले थे आसमां को चूमने,
नीहारिका की अंजुमन को तुमने सजालिया !
हम दुखों का भार रो-रो कर बढ़ातेे चले गये,
तुमने हंसी-हंसी में ही हर ग़म को भुला दिया।
शातिर लुटेरे आज महफिल में आकर जम गये,
जिसके लिये तुमने अपना लहू बहा दिया दिया!
दिन फिरे हैं आज उनके, जो यार थे अंग्रेज के ,
क्या इनके लियेही तुमने अपना सबकुछ लुटादिया।
सुखी रहें भावी पीढ़ियां बने ये भारत महान,
इसीलिए तो शायद शहीदों ने खुदको मिटा दिया।
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