मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

'खिलाफत' बनाम 'मुखालफत'

 भारत के अधिकांस हिंदी भाषी लोग उर्दू या अरबी के 'खिलाफत' शब्द का मूर्खतापूर्वक दुरूपयोग करते रहते हैं। दरसल 'खिलाफत' शब्द का वास्तविक अर्थ है 'इस्लामिक संसार के प्रमुख की सत्ता'! सार्वजानिक तौर पर भारतीय जन मानस द्वारा इस 'खिलाफत' शब्द का सबसे पहले प्रयोग १९१९ के आस पास खिलाफत आंदोलन के दौरान किया गया था। तब इस शब्द को उसके सही अर्थ में प्रयोग किया गया था। तब का इस्लामिक जगत इस बात पर यरोपियंस से नाराज था कि उनके तथाकथित 'खलीफा' > याने इस्लामिक जगत के सर्वमान्य नेता को ईसाई राष्ट्रों की सम्मिलित ताकत ने ध्वस्त कर डाला था! महात्मा गांधी और सीमांत गांधी अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में तत्कालीन कांग्रेस ने *खिलाफत आंदोलन* चलाया था! याने इस्लामिक जगत के खलीफा की गद्दी बचाने के लिये, तुर्की पर हमला करने वाले अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी!

किन्तु 1920के बाद और खास तौर से आज के दौर में 'इस्लामिक दुनिया' का कोई व्यक्ति कौम की सत्ता के केंद्र में नहीं है !अर्थात अब इस्लामिक जगत का कोई 'खलीफा' नहीं है!और जब खलीफा ही नहीं है तो उसकी *खिलाफत* याने 'खलीफा का साम्राज्य' कैसा?
मतलब दुनिया में 'खिलाफत' का अब कोई अस्तित्व ही नहीं है। फिर भी बड़े बड़े लेखक पत्रकार,स्वयंभू बुद्धिजीवी इस 'खिलाफत' शब्द की आये दिन ऐंसी-तैसी करते रहते हैं।अधिकांस पढ़े- लिख लोग इस शब्द को यदा कदा 'राजनैतिक विरोध ' या 'आलोचना' के पर्यायबाची के रूप में इस्तेमाल करते हैं! तब बड़ी कोफ़्त होती है,जब विरोध करनेके लिये वास्तविक उर्दू शब्द 'मुखालफत' मौजूद है! मुखालफत बेचारा अक्सर हासिये पर धकेल दिया जाता है!
*विरोध* की जगह *खिलाफत* लिखने वालों का खूब मजाक उड़ाया जाता है!खास तौर से उनके द्वारा जो उर्दू अरबी जानते हैं और विरोध की जगह *मुखालफत * शब्द इस्तेमाल करते हैं! श्रीराम तिवारी बनाम

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