मंगलवार, 30 नवंबर 2021

 जिन्होंने मेरी जिंदगी में शामिल होकर इसे बेहतर बनाया उनका शुक्रिया! जिन्होने दूर होकर सिर्फ आलोचना की,उन्होंने इसे और भी बेहतर बनाया,उनका डबल शुक्रिया!

 वे लोग आदर और सम्मान के पात्र हैं,जिनका नजरिया वैज्ञानिकता और मानवता से परिपूर्ण है! जो मेहनतकशों और किसानों के पक्षधर हैं और जो हर मुश्किल दौर में सत्य,न्याय के लिये बलिदान देने को हैं !

सोमवार, 29 नवंबर 2021

"If you can't defeat, you join them"

 अंग्रेजी में दो कहावतें ऐंसी हैं- जो हमारे वर्तमान प्रधान मंत्री जी के बड़ी काम की हैं। बहुत संभव है कि वे उन्ही का अनुशरण करने जा रहे हों !

पहली कहावत यह है कि - "If you can't defeat, you join them,,!" अर्थात यदि तुम किसी को तर्क बुद्धि से या रणकौशल से परास्त नहीं कर सकते तो उसे विजेता मानकर उसका अनुसरण करना ही श्रेयष्कर है।
दूसरी कहावत है कि - "If you don't like any particular thing ,then you should change it ! If you can't change it then you must change your self attitude ,,," अर्थात अगर तुम किसी चीज को पसंद नहीं करते हो तो उसे बदल डालो ! यदि तुम उसे बदल नहीं सकते तो अपना खुद का रवैया बदल डालो !
शायद अब इन कहावतों को ही चरितार्थ किया जा रहा है। इसीलिये किसान आंदोलन से पराजय की अनुभूति छिपाने के बहाने सत्ता के अहंकार की जिद छोड़कर मोदी जी अब 'आम आदमी ' के नेता होने का प्रयास कर रहे हैं।
इससे पूर्व किसान विरोधी बिल वापिस लेने के लिए पी एम मोदी जी ने मजबूरी में ही सही -अपने पूर्व निर्धारित अहोभाव से बहुत पृथक 'मोड़' पर आकर आज नया स्टेण्ड लेने की घोषणा की है! हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे अपने कौल के पक्के साबित हों! आमीन!

हाऊस वॉईफ की सैलरी*

 

विगत 3-4 साल से श्रीमतीजी को ब्रॉकल अस्थमा की क्राऩिक बीमारी है,जिसकी वजह से डॉक्टरों के निर्देशानुसार किचन में जाना बंद हो गया ! वैसे तो झाड़ू पोछा,बर्तन और कपड़े धोने के लिये तीन -चार बाइयां पहले से लगा रखीं थीं,किंतु श्रीमतीजी ने बड़े बेमन से खाना बनाने के लिये एक 'रोटी वाली बाई' भी रख ली!
उन्होंने रोटी वाली को काम दैने से पहले उसका इंटरव्यू लिया और पूछा -
- खाली रोटी बनाने का क्या लेती हो ?
रोटी वाली ने पलटकर पूरी प्रश्नावली पेश कर दी!
-आप कितने सदस्य हैं ?
-रोटियाँ एक समय या दोनों समय चाहिये ?
- कितनी रोटियां बनवाएंगी ?
श्रीमती जी से सारी जानकारी लेने के बाद रोटी वाली ने कुछ शर्तो के साथ जवाब दिया-
'बारह रोटी का 1800/-
सुनकर श्रीमती जी चौंक गई.......
उन्होंने मन ही मन हिसाब लगाया तो उन्हें पता चला कि इस दर से तो वे पिछले 45 साल में 8-10 लाख रूपयों की तो सिर्फ रोटियां ही बेल चुकी हैं!
😂😂😂😂😂😂😂
नारी जगत के ऐंसे अनेक अवदान हैं ,जो अवर्णीय हैं, जब कभी महिलाओं के श्रम का इतिहास लिखा जायेगा, तब एक बहुत बड़ा घोटाला उजागर होगा.....

रविवार, 28 नवंबर 2021

क्रांतिकारी विकल्प कोई नहीं!

 सबको मालूम है कि जमाखोरी रिश्वतखोरी मिलावटखोरी,अवसरवाद और सांप्रदायिक कट्टरता की जकड़ में भारतीय लोकतांत्रिक सिस्टम अंदर से सड़ चुका है! किंतु किसान आंदोलन की तरह *व्यवस्था परिवर्तन* के लिये कोई कहीं कोई सुगबुगाहट भी नहीं है!

अत: EVM हो या बैलेट पेपर,बदलाव के लिए वोट करने वाले समझदार मतदाता भी गच्चा खा जाते हैं,क्योंकि उनके समक्ष या तो नागनाथ हैं या सांपनाथ ! क्रांतिकारी विकल्प कोई नहीं!# यूपी विधान सभा चुनाव.

आध्यात्मिक और वैयक्तिक उद्धार

 यदि आप पूर्वजों,वरिष्ठजनों ,सुह्रदयजनों सच्चे समाजसेवियों,मेहनतकशों,किसानों और अभिभावकों के प्रति कृतज्ञता भाव रखेंगे तो आप निश्चय ही सतत ऊर्जावान और सर्वप्रिय बने रहेंगे।

विपश्यना एवं ध्यान आपके आध्यात्मिक और वैयक्तिक उद्धार के साधन हो सकते हैं! किंतु बिना सामाजिक सरोकारों,राष्ट्रीय सुरक्षा, अमन- चैन और वैश्विक शांति के किसी का भी व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन अक्षुण तथा आत्मोद्धारक नही हो सकता!

शनिवार, 27 नवंबर 2021

जो कौम या राष्ट्र इतिहास से सबक नहीं सीखते उनका वजूद हमेशा खतरे में रहता है !

 जिस किसी प्रबुद्ध कौम या राष्ट्र ने 'व्यक्ति विशेष' की महत्ता के बजाय उसके द्वारा प्रणीत श्रेष्ठ 'मानवीय मूल्यों' को अर्थात ''विचारों' को महत्व दिया ,उस कौम या राष्ट्र ने अजेय शक्ति हासिल की। व्यक्ति की जगह मानवीय मूल्य , मानवोचित विचार और विवेक को महत्व देने के कारण ही अंग्रेज जाति ने सैकड़ों साल तक अधिकांस दुनिया पर राज किया है। जबकि अपने तानाशाह शासक नेपोलियन की जय- जयकार करने वाली फ़्रांसीसी जनता को एक अंग्रेज जनरल 'वेलिंग्टन' के सामने शर्मिंदा होना पड़ा। इसी तरह हिटलर की जयजयकार करने वाले जर्मनों की नयी पीढी को उनके पूर्वजों का अंतिम हश्र ,आज भी शर्मिंदा करता है। जनरल तोजो की हठधर्मिता के कारण ही हिरोशिमा और नागाशाकी का भयानक नर संहार हुआ था, जिसका नकारात्मक असर आजभी जापानकी जनता पर देखा जा सकता है। जो कौम या राष्ट्र इतिहास से सबक नहीं सीखते उनका वजूद हमेशा खतरे में रहता है !

मनीष उपाध्याय, Honey Tiwari and 2 others

केरल पहला राज्य बना

मोदी जी के नेतत्व में बीजेपी ने यदि जनहित के काम किये हैं और यदि देश की जनता खुशहाल है,तो संविधान दिवस के अवसर पर पीएम महोदय विपक्ष और कांग्रेस पर हमले क्यों करते रहे? क्या जरूरत है सरकारी धन से चुनाव प्रचार की? यदि आपने जनता का काम किया है तो बेफिक्र रहो, -काम बोलेगा! जय जनता जनार्दन!
सीवरेज चैम्बर मैनहोल और ड्रेनेज लाइनों की सफाई करने के लिये केरल में रोबोट का इस्तेमाल विगत एक साल से किया जा रहा है!ऐंसा करने वाला केरल पहला राज्य बना!केरल की वामपंथी सरकार को
सीवरेज चैम्बर मैनहोल और ड्रेनेज लाइनों की सफाई करने के लिये केरल में रोबोट का इस्तेमाल विगत एक साल से किया जा रहा है!ऐंसा करने वाला केरल पहला राज्य बना!केरल की वामपंथी सरकार को
बधाई
!बाकी राज्यों से भी अपील की जाति है कि हर गांव में रोबोट की व्यवस्था हो! साथ ही पैदल चलने वालों को फुटपाथ नसीब हो! इंदौर में फुटपाथ पर अतिक्रमण है, उसे हटाकर आवागमन सुगम बनाया जाए!बधाई
!बाकी राज्यों से भी अपील की जाति है कि हर गांव में रोबोट की व्यवस्था हो! साथ ही पैदल चलने वालों को फुटपाथ नसीब हो! इंदौर में फुटपाथ पर अतिक्रमण है, उसे हटाकर आवागमन सुगम बनाया जाए!

मान्यवर कितने कालेधन वाले आपने अभी तक जेल भेजे हैं....

भारत को आजादी मिलने के उपरांत कांग्रेस के लोग देश को लूटने में जुट गये! कांग्रेस जब बहुत बदनाम होने लगी तो राष्ट्रीयकरण और गरीबी हटाओ के नारे दिये गये! 'गरीबी हटाओ' के नारों से प्रभावित होकर भारत का मजदूर किसान वामपंथ को त्यागकर कांग्रेस के साथ हो लिया!उधर अल्पसंख्यक वर्ग ने भी वामपंथ को छोड़कर -कहीं ममता, कहीं सपा और कहीं बसपा का दामन थाम लिया! जबकि पूर्व राजे रजवाड़े और खाये पिये कांग्रेसी दलबदलकर या तो क्षेत्रीय दल बनाने लगे या 'जनसंघ'( 1980 के बाद भाजपा) में समा गये!
दलबदलू नेता वे जब तक कांग्रेस में रहे तब तक देशद्रोही, पापी और गद्दार कहे गये और ज्यों ही भाजपा या क्षेत्रीय दलों में गये तो देशभक्त बन बैठे!
बहुत कम लोग जानते हैं कि सच्ची देशभक्ति वह है कि हम अपना -अपन दायित्व निर्वहन करते हुए कोई भी ऐंसा काम न करें जिससे देश का अहित हो। सरकारी माल की चोरी सरकारी जमीनों पर कब्जे,आयकर चोरी निर्धन मरीजों के मानव शरीर अंगों की चोरी, हथियारों की तस्करी,मादक द्रव्यों की तस्करी और शिक्षा में भृष्टाचार इत्यादि हजारों उदाहरण है जहाँ देशद्रोही बैठे हैं।

इनमें से अधिकांस लोग अपने पाप छिपाने के लिए सत्ताधारी पार्टी के साथ हो जाते हैं। इसलिए अब सत्ताधारी पार्टी का नैतिक और चारित्रिक पतन तेजी से होने लगता है,तो वे विपक्षी दलों पर सीबीआई, ED, आयकर के हमले तेज कर देते हैं, और अपोजीशन को हिंदू विरोधी सिद्ध करने में जुट जाते हैं !

जिन बुजर्ग माँ -बाप के जवांन लड़के सीमाओं पर आये दिन शहीद हो रहे हैं ,वे पूंछ रहे हैं कि जब आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक सफल रही है तो पाकिस्तानी सेना और उसके पालतू आतंकियों के हाथों उनके नोनिहाल याने भारत के सैनिक लगातार शहीद क्यों हो रहे हैं ? यदि आपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक सफल रही है तो उसकी डींगे क्यों हाँकी गयीं ? और उसके बाद सबूत क्यों मांगे गए ? यदि सबूत मांगे गए तो उन्हें उपलब्ध कराने के बजाय पीएम महोदय 'देशद्रोह' का जुमला लेकर देश की जनता पर 'नोटबंदी' लेकर क्यों टूट पडे ? इस 'नोटबंदी ' का सकारात्मक परिणाम यदि आवाम जानना चाहती है तो बताइये ना ! कि कितने कालेधन वाले आपने अभी तक जेल भेजे हैं ?दरसल एक भी नाम आपके पास नहीं है। जब आप ललित मोदी ,विजय माल्या और जनार्दन रेड्डी के आगे नतमस्तक हैं तो पाकिस्तान में छिपे आतंकियों,कश्मीरी पत्थरबाजों का के बिगाड़ लेंगे ?आप देश के अंदर के कालेधन वालों की एक आँख फोड़ने के चक्कर में भारत की तमाम मेहनतकश ईमानदार आवाम की दोनों आँखे फोड़ने पर आमादा क्यों हैं ?

शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

सच्ची राष्ट्रनिष्ठा की कमी है

 "भारत में न मंदिरों की कमी है,न मस्जिदों की कमी है! दर्सल यहाँ ऑक्सफोर्ड, हावर्ड JNU जैसे उत्क्रष्ट विश्वविद्यालयों और बेहतरीन अस्पतालों की कमी है!

अदालतों और विधान मंडलों में संविधान को जानने वाले वकीलों,जजों और नेताओं की कमी है! सरकारी विभागोंमें कर्मठ ईमानदार ब्युरोक्रेट्स और कर्मचारियों की कमी है!
उपभोक्ता वस्तु उत्पादन में गुणवत्ता की कमी है!युवाओं में अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिये सही लक्ष्य, सही दिशा और साहस की कमी है!पड़ोसी देशों में भारत के प्रति विश्वास और मोहब्बत की कमी है ! भारत के धर्मांध सा्ंप्रदायिक तत्वों में सौहाद्रता और सच्ची राष्ट्रनिष्ठा की कमी है!
इन तमाम कमियों को दूर किये बिना कोई भी 'माई का लाल' इस देश का विकास नही कर सकता ! और न ही इसके बिना यहां कोई आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक क्रांति संभव है।

हरिसिंह होने के मायने




15 फरवरी सन् 1945 की दोपहर सागर के कटरा बाजार में एक स्थूलकाय लालिमा लिए गोरे रंग का शख्स अपनी मोटरकार खड़ी करता है। जहां आज पटैरिया स्वीट्स की दूकान है,कार देखकर लोग थोड़ा चौंकते हैं और उसमें से उतर रहे शख्स को अचरज से देखने लगते हैं। अंग्रेजों की वेशभूषा में तकरीबन अंग्रेज साहब ही दीख पड़ रहा वह व्यक्ति कुछ कदम चल कर बकौली के पेड़ के नीचे खड़ा होता है और कौतुहल से देख रहे लोगों को हाथ के इशारे से अपने पास बुलाता है। कोई दो दर्जन लोग उसके नजदीक जाते हैं। देह में समाऐ उसके कंठ से एक भारी लरजदार आवाज निकलती है। "हम हरीसिंह गौर आएं।...बैरिस्टर। हम सागर के हैं। सागर में यूनीवर्सिटी खोल रहे हैं!" ...लोगों के पल्ले इतना पड़ा कि यह आदमी अनपेक्षित रूप से सगरयाऊ बुंदेली में बोल रहा है। वह फिर बोला और इसबार उसने अपनी फुलपेंट से शर्ट निकाल कर उसको झोली का आकार दिया और सबके सामने फैला दिया। "...सागर में विश्वविद्यालय खोल रय हैं,पैसा नईं चाने आप सबको सहयोग चाने हैं!" तब तक जमा हो चुके लोगों की तादाद कुछ और बढ़ गयी थी...सबने सुना और लोगों की समझ में जो आया वह सिर्फ इतना था कि कोई हरीसींग हैं, पैसा नहीं मांग रहे, सहयोग मांग रहे हैं और सागर के ही हैं लिहाजा भीड़ के अलग अलग कोनों से आवाज उठी... " हओ...हओ....हओ...!" लोगों ने पाया कि यह सुनकर उस शख्स की आंखों में चमक सी दौड़ी और दोनों हाथ उठा कर धन्यवाद देता वह पलट कर अपनी कार की ओर गया, बैठा और चला गया।
सागर का बसस्टेंड तब इसी जगह कटरा में ही था। कुछ तांगेवाले, मोटर मैकेनिक, यात्री और गांधीभंडार नाम की पुड़ी साग वाली होटल ही वहां थी। होली पास थी लिहाजा कुछ मृदंग नगड़िया बेचने वाले देहाती कारीगर भी थे। बस ओनर श्री दयाशंकर पांडे (कांग्रेस नेता संतोष पांडे के पिता) और श्री गोपाल सिंह राजपूत (नोटरी चतुर्भुज सिंह राजपूत के पिता ) इस वाकये के प्रत्यक्षदर्शी थे। इन् जानकारों ने भीड़ को बताया तब लोगों को पता चला कि ये शनीचरी वाले मशहूर बैरिस्टर हरिसिंह गौर थे जो सागर में कोई बहुत बड़ा कालेज जैसा कुछ बना रहे हैं।
...और एक साल बाद अपनी मेहनत से कमाऐ बीस लाख रूपयों से जो कुछ बनाकर सर हरिसिंह गौर ने दिया सागर को वह सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था आजादी के पहले उस दौर में। ...सागर विश्वविद्यालय । महान शाहकार। जिसने बीड़ी बनाने में खो जाने से बचाकर आने वाली सारी पीढ़ियों के सपनों में पंख लगा दिए। सागर की शनीचरी के 'जरियाकाट ठाकुरों' में 1870 में पैदा होने वाला हरिसिंह पंद्रह साल की उम्र में अपनी छात्रवृत्ति के दो रूपये से ऊंटगाड़ी करके ढाई दिनों का सफर तय करके करेली रेलवेस्टेशन गया। वहां से जबलपुर के राबर्टसन कालेज में पढ़ने के लिए। गरीबी और संकल्प ने फिर खाली हाथ वापस नहीं लौटने दिया। ...और यहां जो कुछ छूट गया था उसमें बहुत कुछ ऐसा था फिर कभी वापस नहीं मिला।...उनमें एक थी मोहन। हरी की सबसे लाडली छोटी बहिन ,...जो उस रोज खद्दर की फ्राक पहने ऊंट गाड़ी पर भैया का सामान लदते देख रही थी और छोड़ने के लिए डिप्टी फर्श उतर कर तालाब के तट तक आई थी। ... हरिसिंह गौर 1889 में जब कैंब्रिज में थे यहां कालरा की महामारी मोहन को ले गयी और हरिसिंह गौर के हृदय में ऐसा खालीपन छोड़ गयी जिसे याद कर वे हमेशा कराहे। विदाई के लिए हाथ उठाऐ छोटी बहिन को वे आसमान के तारों, बगीचे के फूलों और गहन मौन में आत्मा से साक्षात्कार करते तलाशते रहे। डा. गौर ने मोहन की स्मृति में सानेट लिखा है जिसमें हम सभी मोहन से मिल सकते हैं-
-स्मृति में-
नहीं तुम कब मरी हो?
परियों सी चमचमाती तुम अब भी तो हो
हवाओं में लहराते देवदारों में
जहां कोमल मुस्कानें
उदासियों में भी छेड़ देती हैं प्रेम की तानें
वे तुम ही तो हो
पूर्णिमा की चांदनी में धवल वस्त्र पहने
असंख्य किरणों सी टिमटिमाती तारों में
आशाओं से सजे मधुरिम दृश्यों में
स्नेह के आलिंगनों
और चमकीले सपनों में
शोक के अधरों पर उठे मौन के स्वर
आनंद की सत्ता में स्थगित विषाद
शिखरों - घाटियों से आ रही रागनियां
तुम्हारी आत्मा के प्रमाण हैं
रूह से रूह तक
करूणा की तत्वरूप
देह है गयी तो क्या
कण कण में विद्यमान ...।

डॉ. सर हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (पूर्व नाम -सागर विश्वविद्यालय) के संस्थापक और ब्रिटिश कालीन ख्यातनाम् बैरिस्टर डॉ. सर हरिसिंह गौर की जयंती26 oktumber पर सादर नमन.

गुरुवार, 25 नवंबर 2021

भारत के गद्दारों का नाश हो!

 पंडित नेहरु और इंदिराजी द्वारा स्थापित, जिन नवरत्नों ने 2007-2008 की भयानक वैश्विक आर्थिक मंदी में भी, भारत को फिसलने नहीं दिया,उन सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) को,घाटे में धकेलकर, निजी हाथों में सौंपने वाले (भ्रस्ट नेता अफसर)देश के गद्दार हैं! भारत के गद्दारों का नाश हो!

'जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी. सो नृप अवश्य नर्क अधिकारी।

 पूंजीवाद निष्ठुर,बेशर्म और मुनाफाखोर होता है! लोकतांत्रिक व्यवस्था में पूँजीपति वर्ग और संगठित लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहते हैं! किंतु असंगठित कामगारों,निजी क्षेत्र के मजदूर कर्मचारियों और बेरोजगार युवाओं को यह पूंजीवादी व्यवस्था,अपराध जगत या भुखमरी एवं अभावों की अंधेरी खाई में धकेलती रहती है! इस सिस्टम में जाति,मजहब/धर्म और राष्ट्रीय अलगाव का भय पैदा कर जन आंदोलन को बदनाम कर दिया जाता है! 

१५ अगस्त -१९४७ को आजादी मिलने के उपरान्त भारतीय  लोकतंत्र के इतिहास में  पहली बार ऐंसा अवसर आया जब एक साल तक लगातार कोई जन आंदोलन [ किसान आंदोलन २०२०-२०२१ ] अधिनायक वाद को लगातार  बराबर की  टककर देकर सुर्खुरू हुआ है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया सबसे विराट किसान आंदोलन सिर्फ किसान विरोधी तीन  बिलों की वापिसी का आंदोलन रह गया ,अपितु वह दुनिया को  बताने  सफल रहा कि भारतीय स्वाधीनता के नायक आदरणीय महात्मा गाँधी का 'सत्याग्रह और अहिंसा' सिद्धांत सर्वकालिक और सर्वत्र कारगर है। 

इस किसान आंदोलन  ने न केवल कांग्रेस और वामपंथ को संजीवनी प्रदान की बल्कि यूपी बिहार के सपा बसपा और जदयू जैसे दलों के जातिवादी नेताओं के  राजनैतिक पाखंड की कलई खोल दी. हालांकि टिकैत जैसे कुछ किसान नेता  किसी खास राजनैतिक विचारधारा के तरफ़दार नहीं हैं ,किन्तु उन्होंने किसान आंदोलन को सही दिशा दी और वक्त पर किसानों की हौसला आफजाई भी की। 

विगत गुरू नानक-देव की जयंती के रोज किसानों से आंदोलन समाप्त कर घर जाने की अपील और किसान विरोधी तीनों बिल वापिस लेने के ऐलान के बाद से भारतीय पी.एम.नरेंद्र मोदी एकदम बदले -बदले नजर आ रहे हैं।आज रविवार को 'मन की बात' में उन्होंने स्पष्ट घोषणा की है कि :-
"मुझे सत्ता में नही रहना है, देश की सेवा करनी है"
बेशक इस मौसमी बदलाव का श्रेय देश के करोड़ों आंदोलनकारी किसानों और शहीद हुए 700 किसानों की शहादत को जाता है! इसके साथ साथ बुद्धिजीवियों, विचारकों, लेखकों,रोशनख्याल धर्मनिरपेक्ष आवाम और लोकतांत्रिक वामपंथी विपक्षी दलों को भी मोदी जी के भावात्मक बदलाव का श्रेय जाता है। बशर्ते उनका यह *ह्रदय परिवर्तन* ढोंग न हो,बल्कि ईश्वर करे वास्तविक ही हो!

इस किसान आंदोलन की सफलता  ने मेहनतकशों के  बिभिन्न जन आंदोलनों  को प्राणवायु प्रदान की है। दरसल वविगत ६-७ साल से देखने में आ रहा था कि  अधिकांश मेहनतकश वर्ग के आंदोलनों को ,ट्रेड यूनियनों को जबरन कुचला गया।  कृषि कानून तो सरासर गलत थे ही ,किन्तु इस दौरान सत्ता का चरित्र बेहद फासीवादी और पूँजीवाद परस्त  देखा गया।  शांतिपूर्ण आंदोलन करते हुए जिस देश के ७०० किसान शहीद हो जाएँ और उस देश का प्रधानमंत्री खुद ही प्रेस और मीडिया को ब्रीफिंग दे कि " ये आन्दोलनजीवी तो परजीवी की तरह होते हैं '' ऐंसा आपत्तिजनक बयान देने से पहले उन्हें नहीं भूलना चाहिए था कि  'जासु राज प्रिय  प्रजा दुखारी. सो नृप अवश्य नर्क अधिकारी। 

इस किसान आंदोलन  की सफलता ने सबसे बड़ा काम यह किया कि प्रचंड जनादेश की सरकार को भी बाध्य कर दिया कि वह देश की आवाम को मूर्ख न समझे।  भारत की आवाम ने खास  तौर से आंदोलनकारी संघर्षशील किसानों ने बड़ी शिद्द्त से स्वर्गीय राम मनोहर लोहिया जी के कथन को सही साबित कर दिया कि "जिन्दा कौमें ५ साल तक इन्तजार नहीं करतीं"  मतलब आगामी २०२४ तक इन्तजार नहीं करते हुए भारत के संगठित किसान आंदोलन ने सैकड़ों कुर्बानियां देकर इस मौजूदा निजाम को मजबूर कर दिया कि  जन  विरोधी क़ानून बनाकर जनता पर न थोपें। ... 







बुधवार, 24 नवंबर 2021

पूँजीवाद का राज

 जब तक अंबानी-अडानी के मित्रों का राज रहेगा!

जब तक पूँजीवाद का राज रहेगा!!
तब तक ये देश-बिकता रहेगा !
यह देश झुकता रहेगा!!
मेहनतकश किसान- मजदूर,लुटता रहेगा,पिटता रहेगा
सरकारी बैंकों से कर्ज चुकाने से बचने वालों की संख्या में जबरदस्त उछाल होने के कारण क्या क्या हो सकते हैं?
सीधी बात यह है कि इनकी सरकार से नजदीकियां है और बदले में बीजेपी को मिलने वाले चंदे में भी जबरदस्त उछाल आया है। नुकसान आखिर किसका ? बैंकिंग प्रणाली में तरह तरह के नये नये शुल्क और पुरानी शुल्कों में भारी बढ़ोतरी का आर्थिक खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ रहा है।

जिंदगी बहुत कम है प्यार से जियो दोस्तो।

 प्रत्येक लाइन गहराई से पढ़े।

✅ गरीब दूर तक चलता है..... खाना खाने के लिए......।
✅ अमीर मीलों चलता है..... खाना पचाने के लिए......।
✅ किसी के पास खाने के लिए..... एक वक्त की रोटी नहीं है.....
✅ किसी के पास खाने के लिए..... वक्त नहीं है.....।
✅ कोई लाचार है.... इसलिए बीमार है....।
✅ कोई बीमार है.... इसलिए लाचार है....।
✅ कोई अपनों के लिए.... रोटी छोड़ देता है...।
✅ कोई रोटी के लिए..... अपनों को छोड़ देते है....।
✅ कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे.... आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है।
✅ पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे... आज दोस्तों की यादों में रहते है...।
✅ पहले लड़ना मनाना रोज का काम था....आज एक बार लड़ते है, तो रिश्ते खो जाते है।
✅ सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया, जाने कब हमकों इतना बड़ा बना दिया।
जिंदगी बहुत कम है प्यार से जियो दोस्तो।

मंगलवार, 23 नवंबर 2021

राष्ट्र राज्य को इनसे भी खतरा ....

 भारत में आजादी के दौरान और उसके कुछ समय बाद तक यहां साधू संत महंत मुल्ले मौलवी स्वाधीनता परस्त देशभक्ति

और नैतिकता से सराबोर रहे!
मुग़ल काल में कई सन्यासी विद्रोह पढ़ने -सुनने में आये हैं। इस देश में सन्यास और महात्माओं का अक्सर बड़ी बड़ी कुर्बानियां देकर राजनैतिक मूल्यों को स्थापित करने में सभी धर्मों के संतों,कवियों और महात्माओं का बड़ा योगदान रहा है।
किन्तु आजादी के बाद देश में इस क्षेत्र में गिरावट और चरम पतन का सिलसिला थम नहीं रहा है। इस दुखद और शर्मनाक स्थिति के लिए शायद लोकतान्त्रिक सुविधा का बेजा दुरूपयोग ही जिम्मेदार है। राजनीतिक गिरावट,साहित्यिक बदचलनी और पूँजीवादी व्यवस्था भी इस अंधश्रद्धा के लिए कुछ कम जिम्मेदार नहीं है। यह कटु सत्य है कि सभी धर्मों,सम्प्रदायों और पंथों में पापाचार की भयानक प्रतिद्व्न्दिता तो है ही इसके साथ ही इन सभी के असंवैधानिक कृत्यों से राष्ट्र राज्य को भी सदा खतरा हुआ करता है।