रविवार, 31 अक्तूबर 2021

कन्नड़ फिल्म हीरो पुनीत_राजकुमार को श्रद्धांजलि :

 कन्नड़ फिल्म हीरो पुनीत_राजकुमार को श्रद्धांजलि :

रात ढल चुकी है, हजारों नर नारी रो रहे हैं और कतार में खड़े होकर अपने चहेते #पुनीत_राजकुमार की एक अंतिम झलक देख लेना चाह रहे हैं ..!!
.. कारण जानते हैं .???
● 45 Free Schools
● 26 Orphanages
● 16 Old age homes
● 19 Goshala
● 1800 Students Education
● both Eyes were Donated
...और भी बहुत कुछ ..बड़ी लंबी लिस्ट है सद्कार्यों की और इन सबके पीछे आदमी एक -
He is #PuneethRajkumar....
कन्नड़ फिल्मों के सबसे लोकप्रिय अभिनेता स्व राजकुमार के पुत्र पुनीत राजकुमार की ह्रदय गति रूकने से दुखद रुप से परलोक वासी हो गये।
आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि पुनीत राजकुमार 46 अनाथ आश्रम, 19 गौ शाला और 16 वृद्धाश्रम चलाते थे।
यह प्रधानमंत्री राहत कोष में 50 लाख रुपये भी डोनेट कर चुके थे और अब बालिका शिक्षा पर काम करना चाहते थे।
इन्होंने 1800 अनाथ बच्चों को भी गोद लिया हुआ था जिनकी पढ़ाई का खर्च यही उठाते थे।
किसी भी खेल, सामाजिक आयोजन के लिए एक पैसा नहीं लेते थे।
कौन बनेगा करोड़पति कन्नड़ में यही एंकर थे और एक बार आयोजको ने एक सवाल हिन्दू धर्म के बारे में आपत्तिजनक रखा तो इन्होंने शो ही बंद करवा दिया था।
कई बार स्वयम गाना गाकर चैरिटी के लिए पैसा इकट्ठा कर चुके थे।
और ये सब धार्मिक कार्य यह अपने मेहनत द्वारा की गई कमाई से करते थे।
धर्म के प्रति ऐसा सम्मान और आस्था रखने वाले एक ऐसे धर्मनिष्ठ का जाना बहुत ही दुखद घटना है।
मैने आजतक किसी ऐसे महापुरुष को नहीं जानता जो इतना सब कुछ अपने लोगों के लिये कर रहे हो , और यह सब हमें तब पता चलता है जब वो इस दुनिया से चले जाते है। दिल का दौरा पड़ने से 46 वर्ष की अल्पायु में आज उनका निधन हो गया।
उनकी फैन फॉलोइंग का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कर्नाटक सरकार को हालात काबू करने के लिए कई इलाकों में धारा 144 लागू करनी पड़ी है। वीडियो देखें। मुख्यमंत्री बसवराज खुद अस्पताल पहुंचे हैं। कर्नाटक में सभी थिएटरों को बंद किया जा रहा है।
बॉलीवुड वाले बस फ़िल्मों में नायक बनते हैं असल जिंदगी में दोगले खलनायक हैं सब। नशाखोरी, वेश्यावृत्ति करने वाले इन नीच लोगों ने न केवल सनातन धर्म बल्कि युवा पीढ़ी और देश को बर्बाद करने के सिवा कुछ नही किया।
साधु-हृदय "बड़ा आदमी" हमने खो दिया ... कभी-कभी लगता है कि सही में #ईश्वर अपने प्रिय-पुत्र को अपने पास जल्दी बुला लेता है ..!! क्या उमर थी मात्र 46 साल ..!! दुःखद है ये बहुत ...
ईश्वर दिवंगत आत्मा को सदगति दें..
महान आत्मा को मेरा नमन🙏
विनम्र श्रद्धांजलि 💐
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः

होमी जहांगीर भाभा :-

एक मित्र की पोस्ट से जानकारी मिली कि आज वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा का जन्मदिन है । यह भी जान सका कि कुछ समय पहले दिवंगत हुए कम्युनिस्ट नेता गणेशशंकर विद्यार्थी ने अपने छात्र जीवन में उन्हें पटना बुलवाया था । दिलचस्प घटना यह थी कि विद्यार्थी जी के पास कोई वाहन नहीं था , जिससे भाभा को सभास्थल पर ले जा सकें । आयोजकों की दुविधा भांपते हुए भाभा पैदल ही सभास्थल चलने केलिए तैयार हो गए । गए भी । इस घटना को पढ़ते हुए मेरी आँखे उनके सम्मान में नम हो गईं ।

भाभा की मौत 1966 के जनवरी महीने में हुई थी । पश्चिमी यूरोप के मॉन्ट ब्लाँक की पहाड़ियों के पास हुई एक हवाई दुर्घटना में । उसी महीने पखवारा भर पहले देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु भी रहस्यमयी स्थितियों में ताशकंद में हुई थी । मैं तब हाई स्कूल का छात्र था । शास्त्री के निधन को लेकर तो केवल छुट्टी हुई थी , लेकिन भाभा की मृत्यु के बाद हमारे स्कूल में शोक सह श्रद्धांजलि सभा हुई थी , जिसमें हमारे विद्यालय के दो विज्ञान शिक्षकों ने उनके महत्व पर प्रकाश डाला था । कुछ ही समय पहले भारत -पाक युद्ध हुआ था , जिसमें पाकिस्तान को भारत ने घुटना टेकने केलिए मजबूर कर दिया था । 1962 के चीनी आक्रमण में भारतीय फ़ौज ने घुटने टेक दिए थे । इसे लेकर पूरा देश आहत -आक्रोशित था । भारत -पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत की जनता का मनोबल वापस हुआ था । लेकिन जीत के इस माहौल में ही 11 जनवरी को शास्त्री जी और 24 जनवरी को भाभा की मौत ने सबको दुखी कर दिया था ।
मैं नहीं जानता भाभा को आज की पीढ़ी किस रूप में याद करती है । हमारे देश के स्कूली पाठ्यक्रम में अधिकतर जीवनियां राजनेताओं की ही पढाई जाती हैं । गांधी ,नेहरू ,पटेल ,जेपी वगैरह -वगैरह के इतने ब्योरे होते हैं कि कभी -कभार एक क्षोभ उभरता है । अब तो उन्हें सावरकर ,श्यामाप्रसाद और गोडसे की जीवनियां भी पढ़नी होंगी । ऐसे में, नई पीढ़ी भाभा को भूलने लग जाय तो कोई आश्चर्य नहीं ।
लेकिन भाभा को हमें याद रखना चाहिए । उनकी चर्चा से हम अपने देश -समाज के बुद्धि -विवेक को वैज्ञानिक चेतना से निम्मजित करेंगे । इससे ज्ञान -विज्ञान के नए क्षितिज उभरेंगे । समाज की वैज्ञानिक चेतना जय विज्ञान के जाप से नहीं , वैज्ञानिक सोच से उभरेगी । इस चेतना से हमारी अक्ल के नए गवाक्ष खुलेंगे । हम अधिक आध्यात्मिक और ऊर्जावान बन सकेंगे ।
30 अक्टूबर 1909 को मुंबई के एक पारसी परिवार में जन्मे होमी जहांगीर भाभा परमाणु वैज्ञानिक थे । उन्होंने भारत को आणविक विज्ञान की दुनिया में प्रतिष्ठित करने की भरसक कोशिश की । 1948 में बने प्रथम एटॉमिक एनर्जी कमीशन के वह अध्यक्ष थे । मेरे जहन में उनके दो फोटो उनकी याद के साथ हमेशा झिलमिल करते हैं । एक जिसमें वह आइंस्टाइन के साथ चले जा रहे हैं और दूसरे में जवाहरलाल नेहरू के साथ मित्रवत गुफ्तगू कर कर रहे हैं ।
मैं कोई वैज्ञानिक नहीं हूँ कि उनकी उपलब्धियों का सम्यक आकलन करूँ ; लेकिन आज उनके जन्मदिन पर परमाणु -विज्ञान के महत्व पर थोड़ी चर्चा से अधिक अच्छी श्रद्धांजलि उस वैज्ञानिक के प्रति और क्या होगी । मैं चाहूंगा कि हमारे किशोर और नौजवान उनकी चर्चा के बहाने विज्ञान , वैज्ञानिक चेतना आदि पर कुछ बात कर सकें । मैं बार -बार कहता रहा हूँ कि आज की दुनिया ज्ञान -केंद्रित दुनिया है । जिस देश -समाज के पास ज्ञान की ताकत है ,वह देश -समाज आगे रहेगा । जो इससे दूर रहेगा ,वह समाज अंततः उन लोगों का गुलाम हो जाएगा , जो ज्ञानवान हैं ।
दुर्भाग्य है कि हमारे समाज में तकनीक पर तो जोर है ,लेकिन ज्ञान पर जोर नहीं है । वैज्ञानिक चेतना पर तो और नहीं । हरिकीर्तन और नमाज से फुर्सत मिले तब तो । हम आस्था पर जोर देते हैं ,जिसका ज्ञान से छत्तीस का सम्बन्ध है । आस्था हमें मूर्खता का क्षणिक आनंद प्रदान करती है , ज्ञान हमें बेचैन -विदग्ध कर सकता है । लेकिन जिसे वास्तविक आनंद कहेंगे ,वह हमें ज्ञान से ही प्राप्त हो सकता है । यूरोपीय समाज में जब रेनेसां आया ,नवजागरण का संचार हुआ ,तब धर्मशास्त्रों , बाइबिल और पादरियों पर प्रश्न उठने लगे । इससे एक चेतना सृजित हुई । फिर प्रबोधन काल आया ; जब मॉडर्न साइंस अथवा विज्ञान की नींव पड़ी । इसने धर्मशास्त्रों ,ईश्वर और उनके प्रचारक पादरियों की पोलपट्टी खोल कर रख दी । भारत में जब ब्राह्मणवाद और मुल्लावाद के खिलाफ कोई संघर्ष होता है ,तब कुछ लोग इसे दुनिया से कटा हुआ संघर्ष बताते हैं । इस संघर्ष को अधिकतर लोग जातिवादी मोड़ भी देते हैं । वह यह भूल जाते हैं कि यह वही लड़ाई है ,जिसे पश्चिमी समाज डेढ़ दो सौ साल पहले लड़ चुका है । इस संघर्ष का परिणाम वहाँ समाज और राजनीति में भी प्रस्फुटित हुआ । सामंतवादी समाज की विदाई हो गई । राजतन्त्र की जगह जनतंत्र विकसित होते चले गए । अमेरिकी स्वातंत्र्य आंदोलन हुआ और अमेरिका ने आज़ादी हासिल की । फ्रांसीसी क्रांति हुई । फिर तो दुनिया भर में आज़ादी की लड़ाई नए अंदाज़ में छिड़ गई ।
यही वक़्त था जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति और वैज्ञानिक खोज की आँधी चली हुई थी । 1803 में एक ब्रिटिश भौतिकविज्ञानी जॉन डाल्टन ( 1766 -1844 ) ने एटम के विचार की बुनियाद रखी । वैचारिक स्तर पर भारत और ग्रीक के कुछ दार्शनिकों कणाद और डेमोक्रिटस ने ईसा के बहुत पहले ही एटम और कण ( अणु ) का विचार रखा था । लेकिन डाल्टन ने उसकी वैज्ञानिक परिकल्पना दी । उसके बाद तो पूरी उन्नीसवीं और बीसवीं सदी एटम के अध्ययन की सदी बन गई । रदरफोर्ड , स्क्रोडिन्गर , चाडविक आदि ने एटॉमिक विज्ञान के सिलसिले को इतना बढ़ाया कि 1940 के दशक में एटम बम बना लिया गया और दूसरे विश्वयुद्ध के आखिर में दो जापानी नगरों नागासाकी और हिरोशिमा पर इसने जो तबाही मचाई उससे मानवता काँप गई ।
भाभा का अध्ययन इसी दौर में जारी था । 1933 में उन्होंने नुक्लिअर फिजिक्स में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और 1939 में भारत लौटे । भारत का स्वाधीनता संग्राम आख़िरी दौर में था । भाभा को अंदाज़ा था कि भारत स्वतंत्र देश बनने जा रहा है । नए देश को ज्ञान -विज्ञान से सुगठित नहीं किया गया तो राजनीतिक स्वतंत्रता भी खतरे में पड सकती थी । फिर मूर्खता और गरीबी के साथ हम किसी समाज का पुनर्निर्माण कैसे कर सकते थे । मुश्किल यह थी इसके राजनेताओं के मानसिक गठन की पृष्भूमि में गांधीवादी रामराज था । दुनिया कहीं और थी । देश के आज़ाद होते ही पटेल जैसे नेताओं की चिन्ता सोमनाथ मंदिर निर्माण की थी । इन सब अंतर्विरोधों के बीच ही भाभा ने मुल्क के प्रधानमंत्री को आणविक ऊर्जा आयोग बनाने केलिए राजी किया । इस तरह इस देश में उन्होंने अणु ऊर्जा अध्ययन की बुनियाद आज़ादी मिलते ही रख दी । भाभा के इस योगदान को कोई कैसे भूल सकता है ।
भाभा को 1951 और 1953 में नोबेल पुरस्कार केलिए नामित किया गया । पुरस्कारों की भी राजनीति होती है । एक नवस्वाधीन दुर्बल देश की बात कौन सुनता है । उसकी मेधा को कोई क्यों रेखांकित करे । गीता उसकी सुनी जाती है , महाभारत वह जीतता है , जिसके हाथ में सुदर्शन चक्र होता है । वह चले या न चले , इसका कोई अर्थ नहीं है। उसकी उपस्थिती ही पर्याप्त है। अणु शक्ति आधुनिक दुनिया का सुदर्शन चक्र है । इसकी प्रतीति भाभा को थी । उन्होंने अनवरत कोशिश की कि भारत आणविक विज्ञान के क्षितिज पर स्थान बना ले । उन्ही के प्रयासों का प्रतिफल था कि 1974 में भारत ने पोखरण में अपनी आणविक शक्ति का सफल प्रदर्शन कर दुनिया को चौंका दिया ।आज भारत इस क्षेत्र में जो कुछ है ,वह भाभा के सपनों और प्रयासों का नतीजा है ।
भाभा की मौत आज भी रहस्य है । यह कहा जाता रहा है कि उस विमान हादसे , जिसमें उनकी मौत हुई ,के पीछे अमेरिकी साजिश थी । जो हो , भारत आज आणविक शक्ति क्षेत्र में दुनिया के किसी भी देश का मुकाबला करने में सक्षम है । आज का दिन केवल भाभा को याद करने का दिन नहीं होना चाहिए ; इस दिन हम सब को भारतीय समाज को वैज्ञानिक चेतना संपन्न बनाने का संकल्प भी लेना चाहिए ।

शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

 पहले आयू में जो बड़ा हुआ करता था और चरित्र में श्रेष्ठ होता था,उसका सम्मान होता था!अब सत्ता के गलियारों में जिसकी पकड़ होती है,जो धत्कर्मों से कुछ धन संचित कर लेता है,जो रिस्वतखोर हो, जो बगुलाभक्त हो, जो जातिवादी,मजहबपरस्त हो राष्ट्रवादी होने का ढोंग करता हो,वही सम्माननीय है!

🙏

सो हाँजू-हाँजू कइये!

 ऊँट बिलइया लै गई,

सो हाँजू~हाँजू कइये!
जी के राज में रइये,
ऊकी ऊसी कइये,
ऊँट बिलइया ले गई,
सो हाँजू-हाँजू कइये!
गाय दुदारू चइये,
तौ दो लातें भी सइये,
तनक चोट के बदले,
फिर घी की चुपरी खइये!
घपूचन्द्र की जनी कंयै,
कि सुनलो मोरे संइयाँ,
राजनीति में घुसबौ कौनउ,
हाँसी ठट्ठा नइयाँ!
घुसनै होबै कन्त तुमै,
तौ चमचा बनलो प्यारे,
जो कोउ दिन खों रात कबै,
तौ तुम चमका दो तारे!
हऔ में हऔ मिलाकें,
फिर मन चाऔ पद लइये,
ऊँट बिलइया लैगई,
सो हाँजू - हाँजू कइये!
बगुला नाईं बदलवौ सीखो,_
छलो और खुद छलवौ सीखो,
बड़े-बड़ेन में बसबौ सीखो,
मौका परै तौ फँसबौ सीखो,
रोबौ सीखो, हँसबो सीखो,
भीड़-भाड़ में ठसबौ सीखो,
शीत - घाम औ मेह परै,
तौ सेंग सवेरे सइये!
ऊँट बिलइया लैगई,
सो हाँजू - हाँजू कइये!
हाँजू सें खुश हैं चपरासी,
साहब की मिट जाय उदासी,
पानी प्यादै पूत बिलासी,
मालिक की घुरिया है प्यासी!
इमली खौं जो आम बतावैं,
अपनी हाँकें और हँकाबैं,
तुम इमली में आम फरादो,
उनें आम कौ स्वाद चखादो!
पंड़ित मुल्ला औ बाबा जू,
सबई करत हैं हाँजू - हाँजू,
बड़ो मजा है ई हाँजू में,
हाँजू सें मिलतई है काजू!
जोऊ खुआवे घरे टेरकें,
तौ दचेर कें खइये,
ऊँट बिलइया लैगई,
सो हाँजू - हाँजू कइये!
हाँजू कै कें चमके चमचा,
बदले उनके ठेला खुमचा,
जो मारत ते मक्खी-मच्छर,
लगे खरीदन घोड़ा - खच्चर!
बिगरौ काम संवर जै सबरौ,
हाँजू भर कै दइये,
ऊँट बिलइया लैगई,
सो हाँजू - हाँजू कइये!
************************* @ स्व• जगन्नाथ प्रसाद 'सुमन'_

शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2021

*जबरा मारे और रोने न दे*

 केन्द्र में जब डॉ.मनमोहनसिंह की सरकार थी,तब देश की समस्याओं के बारे में अन्ना हजारे,स्वामी रामदेव और अन्य बाबाओं के बयान रोज आते थे! तब रेप कांड पर तमाम भाजपा नेत्रियाँ चूड़ियां भेंट करने को तैयार रहा करतीं थीं! किंतु अब लगता है देश में सब कुशल मंगल है, कोई भ्रष्टाचार नही,कहीं रेपकांड नही!इसलिये अंधभक्तों के मुँह पर ताले लगे हैं!

किसी पढ़े लिखे सभ्य और शरीफ भारतीय नागरिक को नही भूलना चाहिये कि सन् 1999 तक DOT *डिपार्टमैंट ऑफ टेलिकाम* हर वर्ष लगभग 20000 करोड़ शुद्ध मुनाफा कमाकर भारत सरकार को मेड ओवर करता था! 150 साल के इतिहास में कभी घाटा नही हुआ!
फिर 1999 में दुर्भाग्य से अटल सरकार सत्ता में आई ,अटलजी ने प्रमोद महाजन नामक ऐंसे *महान* खलनायक को संचार मंत्री बनाया कि उसने टेलिकाम डिपार्टमैंट के तीन टुकड़े कर दिये! एक विदेश संचार, जो टाटा को लगभग मुफ्त में दे दिया! दूसरा MTNL और तीसरा BSNL! इन दोनों के हाथ पैर बांधकर प्रतिस्पर्धा के महासागर में तैरने के लिये फैंक दिया! अंबानियों,मित्तलों और दर्जनों प्रायवेट आपरेटरों को लाइसेंस देकर अटलजी की सरकार ने,संघ भाजपा संगठनों ने और प्रमोद महाजन जैसे तमाम नेताओं ने इस कदर रुपये बटोरे कि ये सब 100 साल तक बैठे बैठे खाते तब भी यह भ्रष्टाचार से कमाया धन खत्म नही होगा?
जब प्रमोद महाजन का पाप उसके सर चढ कर बोलने लगा तब उसके सगे भाई ने ही गोली मार दी ! बेशक उसके भाई ने उसे किसी और कारण से मारा होगा, किंतु अटल बिहारी बाजपेई सरकार को उसने भी कम बदनाम नहीै करवाया! अटल सरकार ने पांच साल में निजीकरण और चंदा ऊगाही के ऐंसे कीर्तिमान गढ़े कि शाइनिंग इंडिया के नारे धरे रह गये! BSNL समेत तमाम पब्लिक सेक्टर तेजी से घाटे में चले गये! मनमोहनसिंह सरकार ने कुछ सुधार किये किंतु तब तक काफी देर हो चुकी थी, ऐयर टाल, बोडाफोन, आईडिया और अन्य कंपनियों ने भारी भरकम रिस्वत देकर BSNL के बड़े अधिकारियों को खरीद कर सरकारी कंपनी को हमेशा के लिए घाटे में ढकेल दिया!
2014 में कांग्रेस के भ्रष्टाचार और रामदेव, अन्ना हजारे,श्रीश्री के भयानक दुष्प्रचार तथा मुस्लिम आतंकवाद से परेशान हिंदू वोटर ने इकतरफा वोट दे दिया और श्री नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला! उनके सत्ता में आने के साल भर बाद बड़े अंबानी ने जियो लांच किया ! जियो कंपनी के विज्ञापन का पहला आदमकद फोटो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का ही था! जब जनता ने इसका विरोध किया तब फोटो तो हटा लिया किंतु BSNL के उत्थान और नवीनीकरण हेतु नवीन उपकरण खरीदने पर रोक लगा दी!
इसको कहते हैं *जबरा मारे और रोने न दे* ! कोई शख्स अपने बच्चों को भूखा रखे और अमीरों की दलाली करे तो भी कोई दिक्कत नही! किंतु अति तब होती है जब मनमोहनसिंह जैसे सज्जन व्यक्ति का तो अपमान किया जाए और अंबानी अडानी के परम मित्रों,तड़ीपारों को *सत्य हरिष्चंद्र* बताया जाए!

परंपरा कैसे जन्म लेती है...?

एक कैम्प में नए कमांडर की पोस्टिंग हुई....

इंस्पेक्शन के दौरान उन्होंने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में दो सिपाही एक बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं.....😄
कमांडर ने सिपाहियों से पूछा कि वे इस बैंच की पहरेदारी क्यों कर रहे हैं ?
सिपाही बोले:- हमें पता नहीं सर, लेकिन आपसे पहले वाले कमांडर साहब ने इस बैंच की पहरेदारी करने को कहा था.....😄
शायद ये इस कैम्प की परंपरा है क्योंकि......
शिफ्ट के हिसाब से चौबीसों घंटे इस बैंच की पहरेदारी की जाती है.... 😄
वर्तमान कमांडर ने पिछले कमांडर को फोन किया और उस विशेष बैंच की पहरेदारी की वजह पूछी.....? 😎
पिछले कमांडर ने बताया:- मुझे नहीं पता, लेकिन मुझसे पिछले कमांडर उस बैंच की पहरेदारी करवाते थे.......
अतः मैंने भी परंपरा को कायम रखा..... 😄
नए कमांडर बहुत हैरान हुए....😎
उन्होंने पिछले के और पिछले-पिछले 3 कमांडरों से बात की......😎
सबने उपरोक्त कमांडर जैसा ही जवाब दिया....😎
यूं ही पीछे के इतिहास में जाते नए कमांडर की बात फाइनली एक रिटायर्ड जनरल से हुई जिनकी उम्र 100 साल थी.....😎
नए कमांडर उनसे फोन पर बोले:-
आपको डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा चाहता हूं सर.....
मैं उस कैम्प का नया कमांडर हूं......
जिसके आप, 60 साल पहले कमांडर हुआ करते थे...😄
मैंने यहां दो सिपाहियों को एक बैंच की पहरेदारी करते देखा है.....😄
क्या आप मुझे इस बैंच के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं....?ताकि मैं समझ सकूं कि, इसकी पहरेदारी क्यों आवश्यक है....? 😄😄
सामने वाला फोन पर आश्चर्यजनक स्वर में बोला:-
क्या ? उस बैंच का "ऑइल पेंट" अभी तक नहीं सूखा........?

मेरा सभ्य समाज बताओ!!

 ऐसे में कैसे सुधरेंगे घर के रीतिरिवाज बताओ!

कितना नीचे और गिरेगा मेरा सभ्य समाज बताओ!!
कहाँ बचेंगे प्राण, जगह का कोई तो अंदाज़ बताओ!
कोई सुनता नहीं भीड़ में और लगी है आग नीड़ में,
कितनी ऊंची और करूँ आवाज़ कुछ तो बतलाओ !!

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

कुछ लोग उपहार देने पर प्रिय बनते हैं,

 प्रियो भवति दानेन प्रिय वादेन चापरः।

मन्त्रं मूल बलेनान्यो यः प्रियः प्रियेव सः।।
(सुभाषितम्)
अर्थात्ः- कुछ लोग उपहार देने पर प्रिय बनते हैं, कुछ मनोहारी बातों से और कुछ अन्य मन्त्र-बल से प्रिय बनते हैं परन्तु जिन्हें आप प्रिय हैं वे (बिना कुछ किये ही) आपके प्रिय ही हैं।

-अब कोई बताए कि क्या किया जाए?

 *:-अब कोई बताए कि क्या किया जाए?

• 100 में से अगर एक भी स्मार्ट सिटी बनी हो तो वोट बीजेपी को
• लोगों के खातों में 15-15 लाख छोड़िये चवन्नी भी आयी हो तो खुशी खुशी सत्ता शरणम् गच्छामि हो जाओ !
• स्किल इंडिया से यदि युवाओं को रोजगार मिला हो तो वोट बीजेपी को!
• डिजिटल इंडिया फेल नहीं हुआ हो तो वोट बीजेपी को
• नोटबंदी से कला धन मिला हो तो वोट बीजेपी को
• नोटबंदी से आतंकवाद की कमर टूटी हो तो वोट बीजेपी को :
• नोटबंदी से भ्रष्टाचार मिटा हो तो वोट बीजेपी को
• पाकिस्तान से 1 के बदले 10 सिर आये हों तो वोट बीजेपी को
• अलग से टैक्स लगाने के बाद भी अगर देश साफ़-सुथरा हुआ हो तो वोट बीजेपी को
• हज़ारों करोड़ खर्चने के बाद भी गंगा साफ हुई हो तो वोट बीजेपी को
• कश्मीर से धारा 370 हटाई गयी हो तो वोट बीजेपी को
• वन रैंक, वन पेंशन इमानदारी से लागू हुई हो तो वोट बीजेपी को
• PM आवास योजना में हर बेघर को घर मिला हो तो वोट बीजेपी को
• सांसद आदर्श ग्राम योजना में खुद PM का गोद लिया गाँव भी आदर्श बना हो तो वोट बीजेपी को
• प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा कंपनियों को भारी मुनाफा और किसानों को भारी नुकसान नहीं हुआ हो तो वोट बीजेपी को
• प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से अगर 1 भी गरीब की गरीबी कम हुई हो तो वोट बीजेपी को
• प्रधानमंत्री जन-औषधि योजना से क्या गोरखपुर या अन्य भाजपा शासित राज्यों के मासूमों की जान बची?
• मेक इन इंडिया में अगर कुछ भी मेक हुआ हो और 2 करोड़ युवाओं को रोज़गार मिला हो तो वोट बीजेपी को
• बेटी बचाओ के नाम पर बेटा बचाओ करने वाली भाजपा को क्यों वोट दिया जाए
जब इन भाजपाइयों से कुछ हुआ ही नहीं तो फिर भाजपा को वोट किस बात का दें ?

न्यूनतम संसाधनों की आपूर्ती होना ही चाहिए।

 कालेधन वालों को सत्ता संरक्षण नहीं,

सरे आम चौराहे पर फांसी होनी चाहिए !
नंगे भूखों लाचारों को चुनावी भाषण नहीं ,
शिक्षा स्वास्थ्य और राशन -पानी चाहिए!!
अमीरों की तिजोरियाँ लबालब हों हर्ज नही,
निर्धनको कफ़न का इंतजाम होना चाहिए!
स्वच्छता सदाचार सुशासन की बातें ठीक हैं
किंतु राजनैतिक लफ्फाजी नहीं होना चाहिए !!
हर नागरिक को शिक्षा और हर हाथ को काम,
श्रम और पूंजी का तालमेल होना चाहिए! !
लोकतंत्र में दलगत जुबानी जंग बुरी बात नहीं,
किंतु देश की अखंडता पर आंच नहीं आनी चाहिए!
संभव नहीं कि हरएक के मन की मुराद पूरी हो,
किन्तु न्यूनतम संसाधनों की आपूर्ती होना ही चाहिए।
इतनी आजीविका तो हर मुल्क में उपलब्ध है,
जितना उसके वाशिंदों को जिन्दा रहने को चाहिए!!
मुनाफाखोरी शोषण उत्पीड़न और बेकारी हराम है,
अन्याय को महिमा मंडित नहीं किया जाना चाहिए।
पूंजीवादी सत्ता परिवर्तन से हुआ है जिनका विकास
उन लुटेरों को संरक्षण नहीं फांसी होनी चाहिए!!
श्रीराम तिवारी

बुधवार, 27 अक्तूबर 2021

 जिन मुस्लिमों को लगता है कि सारे हिंदू 'संघी' हैं और जिन हिंदुओं को लगता है कि सारे मुस्लिम 'कसाब' जैसे कसाई हैं,वे मूढ़मति और नासमझ हैं! वे कट्टरपंथ द्वारा फैलाई जातीं अफवाहों को और ज्यादा फैलाने में और दंगों में काम आते हैं

ये शब्द कहीं नही मिले

 मैने संस्कृत वाँग्मय के अधिकांस आर्ष और समृति ग्रंथों का काफी अध्यन किया है! किंतु ये शब्द कहीं नही मिले जो आजकल बहुतायत से प्रयुक्त हो रहे हैं :- अल्पसंख्यक, हिंदू,पटाखा,बारूद,आलू,टमाटर,प्याज और रोटी जैसे कई शब्द मुझे कहीं नही मिले !

*अपरिग्रह*

 भारतीय आध्यात्मिक दर्शन में *अपरिग्रह* की महिमा का खूब बखान किया गया है! किंतु उसका पालन शायद ही कभी किसी ने ठीक ठाक किया हो! यदि इस नैतिक और आध्यात्मिक सिद्धांत का समुचित पालन किया गया होता,तो भारत में इतनी दयनीय सामाजिक -आर्थिक विषमता नही होती! और तब किसी संघर्षपूर्ण विप्लवी क्रांति की आवश्यकता ही नही होती! दरसल अपरिग्रह सिद्धांत फैल नही हुआ, बल्कि भारत के मूल और बहुसंख्यक समाज ने ही तमाम नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य विस्म्रित कर दिये हैं, इसलिये अब सर्वहारा क्रांति के अलावा कोई और विकल्प शेष नहीं रहा!

सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

आइंदा २०२४ में सत्ता परिवर्तन नहीं होगा

 मेरा अंदाजा अर्थात अनुमान आम तौर पर सही बैठता है। अभी एक सप्ताह पहले मैंने फेसबुक पर पोस्ट डाली ,की अभी दीवाली तक मानसून नहीं लोटेगा। लेकिन मौसम  विभाग के तनखैया [फोकटिये]  अधिकारियों ने डिक्लेयर कर दिया कि १३ अक्टूबर को मानसून की वापिसी हो जायेगी। किन्तु  इस घोषणा के३-४ दिन बाद सारे देश में इतना  पानी गिरा की केरल महाराष्ट्र उड़ीसा बंगाल और बिहार में तो हाहाकार मच गई। 

खैर ! मेरा मकसद आत्मप्रशंसा कतई नहीं है ,मेरा निवेदन यह है कि कई बार दिग्गज  वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों और कूटनीतिज्ञों कि भविष्य वाणी गलत  हो जाया करती है,किन्तु मेरे जैसे साधारण आम आदमी के अनुभव कि बात सही निकल जाती है। 

जैसे कि मेरे वैचारिक हमसोच मित्र और  मौजूदा विपक्षी पार्टियां -किसान आंदोलन,बेरोजगारी,ध्वस्त अर्धव्यवस्था और महंगाई के मुद्दे पर जन आक्रोश को  लेकर उत्साहित हैं कि आगामी २०२४ में केंद्र कि सत्ता में परिवर्तन  होकर रहेगा। किन्तु मेरा मानना है कि यदि विपक्षी दल भाजपा की  गलत आर्थिक और सामाजिक रीति नीति का इसी  तरह  अंध विरोध करते रहे,तो भाजपा का हिन्दू वोट बैंक और मजबूत होता चला जायेगा। वे २०२४  में भी प्रचंड बहुमत से जीतेंगे। क्योंकि कटटर इस्लामिक आतंकवाद ने अधिकांश हिन्दुओं को मजबूर कर दिया है कि वे भले ही गरीबी भुखमरी से मर जाएं,लेकिन विधर्मिओं के  पैरोकारों को देश कि सत्ता पर काबिज नहीं होने देंगे। 

हालाँकि न तो सारे मुस्लिम कट्टरवादी हैं और न सारे हिन्दू वतनपरस्त हैं। फॉल्टी दोनों कौमों  में हैं।  जो कट्टर  हिंदूवादी हैं ,उन्हें गलत फहमी है कि वे हिन्दू जो भाजपा या संघ परिवार से नहीं जुड़े वे सब के सब  देशद्रोही हैं। दिखावटी हिन्दुवाद सत्ता का सामीप्य  तो पा सकता है ,किन्तु बिना धर्मनिरपेक्षता के कोई  व्यक्ति या विचारधारा,नेता या पार्टी राष्ट्रहितसाधन  नहीं कर सकती,भले ही  सत्ता हासिल कर सकती है। सबको मालूम हैं कि  धर्मनिरपेक्ष हिन्दू और धर्मनिरपेक्ष मुसलमान ही असली राष्ट्र भक्त है। कटटर इस्लामिक आतंकवाद इंसानियत का खून कर सकता हैं। किन्तु  अपने मुल्क कि हिफाजत नहीं कर सकता। इसी तरह कट्टर हिन्दू लोग  भी धर्मनिरपेक्ष हिन्दुओं को नास्तिक कह कर उनका अपमान करते हैं। किन्तु  मौजूदा दौर में धर्मनिरपेक्ष ताकतें बहुत कमजोर हैं जबकि मजहवी ताकतें और कारपोरेट ताकतों का गठजोड़ बहुत ताकतवर हैं अतएव उनको परास्त कर पाना संभव नहीं हैं। भारत में हिंदूवादी दक्षिणपंथी पूंजीवादी ताकतें तब तक सत्ता में रहेंगी जब  तक  भारत और भारत के बाहर- देश विरोधी,अलगाववादी आतंकवादी ताकतें  भारत के खिलाफ षड्यंत्र करती रहेंगी। इसी आधार पर मैं घोषणा करता हूँ कि आइंदा २०२४ में सत्ता परिवर्तन नहीं होगा,भाजपा एनडीए गठबंधन ही सत्ता में रहेंगे। 

 "तूफ़ानों से वे पेड़ ही उखड़ते हैं,जो अपनी बुलंदियों पर इतराते हैं!

हवा के समक्ष विनम्रतापूर्वक दंडवत करने वाली हरी हरी दूब का बाल बांका नही होता !"

अधूरा ज्ञान खतरना होता है।

 पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -

1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन
4. नकुल। 5. सहदेव
( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )
यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।
वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह
4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम
7. सह 8. विंद 9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान
19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र
22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल
43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर
49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी
52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी
64. दुष्पराजय 65. अपराजित
66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष
68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त
71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु
83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी। 89. विरवि
90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु
96. सुजात। 97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी 99. विरज
100. युयुत्सु
( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,
जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )
"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.
अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद
अधूरा ज्ञान खतरना होता है।
33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।
कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,
कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।
अधर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-
12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार है :-
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी
अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है
तो इस जानकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाये.खासकर अपने बच्चो को बताए क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...
📜😇 दो पक्ष-
कृष्ण पक्ष ,
शुक्ल पक्ष !
📜😇 तीन ऋण -
देव ऋण ,
पितृ ऋण ,
ऋषि ऋण !
📜😇 चार युग -
सतयुग ,
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग ,
कलियुग !
📜😇 चार धाम -
द्वारिका ,
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी ,
रामेश्वरम धाम !
📜😇 चारपीठ -
शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !
📜😇 चार वेद-
ऋग्वेद ,
अथर्वेद ,
यजुर्वेद ,
सामवेद !
📜😇 चार आश्रम -
ब्रह्मचर्य ,
गृहस्थ ,
वानप्रस्थ ,
संन्यास !
📜😇 चार अंतःकरण -
मन ,
बुद्धि ,
चित्त ,
अहंकार !
📜😇 पञ्च गव्य -
गाय का घी ,
दूध ,
दही ,
गोमूत्र ,
गोबर !
📜😇 पञ्च देव -
गणेश ,
विष्णु ,
शिव ,
देवी ,
सूर्य !
📜😇 पंच तत्त्व -
पृथ्वी ,
जल ,
अग्नि ,
वायु ,
आकाश !
📜😇 छह दर्शन -
वैशेषिक ,
न्याय ,
सांख्य ,
योग ,
पूर्व मिसांसा ,
दक्षिण मिसांसा !
📜😇 सप्त ऋषि -
विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज ,
गौतम ,
अत्री ,
वशिष्ठ और कश्यप!
📜😇 सप्त पुरी -
अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी ,
माया पुरी ( हरिद्वार ) ,
काशी ,
कांची
( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,
अवंतिका और
द्वारिका पुरी !
📜😊 आठ योग -
यम ,
नियम ,
आसन ,
प्राणायाम ,
प्रत्याहार ,
धारणा ,
ध्यान एवं
समािध !
📜😇 आठ लक्ष्मी -
आग्घ ,
विद्या ,
सौभाग्य ,
अमृत ,
काम ,
सत्य ,
भोग ,एवं
योग लक्ष्मी !
📜😇 नव दुर्गा --
शैल पुत्री ,
ब्रह्मचारिणी ,
चंद्रघंटा ,
कुष्मांडा ,
स्कंदमाता ,
कात्यायिनी ,
कालरात्रि ,
महागौरी एवं
सिद्धिदात्री !
📜😇 दस दिशाएं -
पूर्व ,
पश्चिम ,
उत्तर ,
दक्षिण ,
ईशान ,
नैऋत्य ,
वायव्य ,
अग्नि
आकाश एवं
पाताल !
📜😇 मुख्य ११ अवतार -
मत्स्य ,
कच्छप ,
वराह ,
नरसिंह ,
वामन ,
परशुराम ,
श्री राम ,
कृष्ण ,
बलराम ,
बुद्ध ,
एवं कल्कि !
📜😇 बारह मास -
चैत्र ,
वैशाख ,
ज्येष्ठ ,
अषाढ ,
श्रावण ,
भाद्रपद ,
अश्विन ,
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,
पौष ,
माघ ,
फागुन !
📜😇 बारह राशी -
मेष ,
वृषभ ,
मिथुन ,
कर्क ,
सिंह ,
कन्या ,
तुला ,
वृश्चिक ,
धनु ,
मकर ,
कुंभ ,
मीन!
📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -
सोमनाथ ,
मल्लिकार्जुन ,
महाकाल ,
ओमकारेश्वर ,
बैजनाथ ,
रामेश्वरम ,
विश्वनाथ ,
त्र्यंबकेश्वर ,
केदारनाथ ,
घुष्नेश्वर ,
भीमाशंकर ,
नागेश्वर !
📜😇 पंद्रह तिथियाँ -
प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी ,
पंचमी ,
षष्ठी ,
सप्तमी ,
अष्टमी ,
नवमी ,
दशमी ,
एकादशी ,
द्वादशी ,
त्रयोदशी ,
चतुर्दशी ,
पूर्णिमा ,
अमावास्या !
📜😇 स्मृतियां -
मनु ,
विष्णु ,
अत्री ,
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना ,
अंगीरा ,
यम ,
आपस्तम्ब ,
सर्वत ,
कात्यायन ,
ब्रहस्पति ,
पराशर ,
व्यास ,
शांख्य ,
लिखित ,
दक्ष ,
शातातप ,
वशिष्ठ !
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