जेएनयू के एक प्रोफेसर ,एक टीवी चैनल के रिपोर्टर और भारतीय सेना के एक कर्नल का कश्मीर में आतंकियों ने अपहरण कर लिया!
तीनों को मौत के घाट उतारने का हुक्म हुआ! मारने से पहले अपह्रत लोगों से उनकी अंतिम इच्छा पूछी गई!
जेएनयू प्रौफेसर- "मैं तो कश्मीर को भारत से आजादी का समर्थक हूँ.आप कृपया मुझे न मारें. दिल्ली वापिस जाकर मैं आपकी दयालुता पर लम्बा व्याख्यान दूँगा."
टीव्ही रिपोर्टर- "मुझे भी मत मारिये ,जनाब मैं भी भारत सरकार को खूब कोसता हूँ. मानव अधिकारों के उलंघन वास्ते भारतीय शासन प्रशासन की खिचाई करता हूँ ! दिल्ली वापिस जाकर मैं आपकी विचारधारा के समर्थन में अपने चैनल पर जोरदार बहस कराऊँगा."
सेना के कर्नल-"मेरी हत्या से पहले मुझे पीटा जाय."
आतंकी सरगना (कर्नल से) - "तुम भी अपनी जान बख्शने के लिए गिड़गिड़ाओ. फिर हम अपना फैसला सुनायेंगे."
कर्नल- "नहीं. मैं चाहता हूँ कि मेरी हत्या से पहले मुझे पीटा जाये."
आतंकी सरगना के इशारे पर एक आतंकी ने भारतीय सेना के कर्नल पर अपनी एके-47 के बट से वार किया. कर्नल ने फुर्ती से एके-47 छुड़ा ली और दनादन सभी आतंकियों को ढेर कर दिया.
प्रौफेसर और रिपोर्टर ने कर्नल से पूछा -
"तुम्हारे अन्दर इतनी हिम्मत और हौसला था तो तुमने आतंकी से खुद को पिटवाया क्यों ? तुम ये फुर्ती और बहादुरी शुरू में भी दिखा सकते थे. "
कर्नल - "मैं चाहता था कि लड़ाई की पहल वो करें. क्योंकि अगर मैं पहल करता तो तुम दोनों हरामजादे मुझे ही कटघरे में खड़ा कर देते और अपनी सरकार एवं जनता को सफाई देते देते शायद मेरी उम्र ही गुजर जाती!
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