*अब रहीम मुश्किल पड़ी, गाढ़े दोऊ काम *
यूपी विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान अपनी अपनी हैसियत से सभी दल चुनाव मैदान में हैं! प्रमुख प्रतिद्वंदी दल भाजपा और सपा ही हैं! बहिन जी ने ब्राह्मणों को मनाने में कुछ मशक्कत तो की है,किंतु अब बहुत देर हो गई, सफलता संदिग्ध है!
कांग्रेस ने प्रियंका वाड्रा गांधी को यूपी में प्रमुख चेहरा पेश किया है, रैलियां भी ठीक ठाक हैं किंतु पोलिंग बूथ पर बिठाने के लिये कांग्रेसी कार्यकर्ता नदारद हैं, अधिकांस दल बदल कर गये हैं! कुछ सपा, बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों की गाजरघास में खप गये और जो जाति पांति से कुछ ऊपर थे वे मोदी जी या योगी जी के प्रभाव से आकर्षित होकर भाजपा में चले गये! अत:
* कांग्रेस के लिये लखनऊ अभी दूर है !*
मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच नजर आ रहा है! दोनों और से अपनी अपनी ढपली बजाई जा रही है! दोनों दल एक दूसरे पर चुनावी जुमले उछाल रहे हैं! दोनों अपने अपने कार्यकाल का प्रशस्तिगान कर रहे हैं! और जीत का दावा भी कर रहे हैं! लेकिन दोनों ही अंदर ही अंदर बुरी तरह डरे हुए हैं! सपा के डर से भाजपा केंद्रीय ऐजेंसियों द्वारा यूपी में सपा भ्रष्टाचारियों के यहां छापे डलवा रही है! योगी मोदी से डरे अखिलेश यादव और उसके दबंग सपाई समवेत स्वरों में मोदी योगी की निंदा में जुबानी जमा खर्च कर रहे हैं!
मुलायम परिवार के सैफईनुमा ऐशो आराम और आजम खान जैसे शोहदों की लक्जरी लाइफ से आक्रांत यूपी की जनता अभी भी नाराज है! इधर आंदोलनकारी किसानों को आतंकी बताने,उनपर हमला करने,गाड़ी चढ़ाकर कुचलने और मंहगाई बेरोजगारी पर चुप्पी साध लेने से- यूपी समेत भारत की अधिकांश जनता भाजपा से बहुत नाराज है!
इन हालात में कुछ कहना मुश्किल है कि यूपी की सत्ता पर कौन काबिज होगा?
मोदीजी योगीजी को तो फिर भी हिंदुत्व और अपने निर्माणाधीन *श्री रामलला मंदिर*एवं बाबा काशी विश्वनाथ कारीडोर कार्यान्वयन का भरोसा है! लेकिन बहिनजी और प्रियंका को जनता ने किंचित भाव दिया तो यूपी में कहीं ऐंसा न हो कि सपा और भाजपा दोनों का पटिया उलाल हो जाए, क्योंकि...
"अब रहीम मुश्किल पड़ी,गाढ़े दोऊ काम!
साँचे को सुख न मिले,झूठहिं मिलें न राम!!" कौन बनेगा यु अगला सी एम
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