मोदी सरकार ने संसद में लड़कियों के लिये शादी की न्यूनतम् आयू 21 वर्ष करने वास्ते केबिने़ट में कई प्ररस्ताव पारित कर संसद में तत्सम्बंधी बिल पेश कर बहुत अच्छा किया !
किंतु इन दिनों बाजारबाद के निहायत ही पतनशील पूंजीवादी कल्चर ने युवा पीढ़ी को और खास तौरसे टीन एजर्स की मनोविकृति को विकसित किया है! अधिकांस छोटी छोटी बच्चियों ही जुल्म की शिकार होती रहती हैं!कानून बनाने से पूर्व मनोवैज्ञानिकों समाजशास्त्रियों और पुलिस विभाग के रिटीयर्ड अफसरों से इस संबंध में अनुभव साझा किये जाने चाहिये थे !
फिल्म जगत ने F.B.Whatsapp इत्यादि सोशल मीडिया ने,टीवी चैनलों ने अश्लीलता परोसकर इस दौर की टीन एजर्स पीढ़ी को अपना भविष्य बनाने के बजाय शादी डाट काम पर जीवन साथी खोजने या फोन पर चैटिंग करने का आदी बना डाला है! दर्शल पूंजीवादी बाजारबाद ने सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी को ही दिग्भ्रम के गहन अंधकार में धकेल दिया है!
मुनाफा कमाऊ, चरित्र बिगाड़ू, भोगविलास उकसाऊ,अश्लील विज्ञापनों और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से परोसे जाने वाले सेक्सी कार्यक्रमों की पूंजीवादी और पैरोस्त्रोइका गिलास्तनोस्त से प्रेरित पाश्चात्य संस्कृति के चंगुल में फंसकर, किशोरावस्था में ही सेक्स हार्मोन्स तेजी से बढ़ रहे हैं!
इस दौर के हुक्मरानों को अपने अमीर मित्रों के मुनाफे की बहुत चिंता है! किंतु युवा पीढ़ी को घर बसाने ,रोजगार दैने की जरा सी भी फिक्र नहीं है! ऐंसे हालात में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र18 से बढ़ाकर21साल कर दी गई है। ईश्वर करे कि यह कदम सही सावित हो !
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