संयुक्त किसान मोर्चा* आंदोलन को एक साल के दरम्यान उसके समर्थकों ने 6.35 करोड़ रु.चंदा दिया! जिसमें 5.39 करोड़ रु. किसान आंदोलन पर खर्च हुआ ! 96 लाख रु. शेष बचे हैं ! किसान मोर्चा की रविवार को संपन्न बैठक में बाकायदा यह लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया!
बैठक में यह भी तय किया गया कि समर्थकों से प्राप्त चंदे का अाय-व्यय का लेखा जोखा बाकायदा ऑडिट कराकर आंदोलन के आय व्यय का समग्र ब्यौरा आगामी बैठकमें प्रस्तुत कर दिया जाएगा!
प्रस्तुत पोस्ट का अभिप्राय यह है कि, ऐंसी वित्तीय ईमानदारी केवल वामपंथी पार्टियों और कुछ सेंट्रल ट्रेड यूनियनोंमेंं ही पाई जाती है! इनके अलावा इस तरह की शुद्ध वित्तीय पारदर्शिता और कहीं नही है!भाजपा,कांग्रेस या किसी अन्य क्षेत्रीय पार्टी के अंदर हिसाब मांगने वाले को लात मारकर पार्टी से बाहर कर दिया जाता है! इनका लेखा जोखा सिर्फ सांकेतिक होता है!
भाजपा, कांग्रेस, जदयू और अकाली दल में यदि कभी औपचारिक रूप से आंतरिक बजट पेश किया भी गया,तो उसके निष्पक्ष ऑडिट की चर्चा कोई भी नहीं कर सकता!
किंतु राजद में लालू परिवार, त्रिणमूल में ममता परिवार,सपा में मुलायमस्ंह परिवार, शिवसेना में ठाकरे परिवार, DMK में श्री करुणानिधी परिवार और बसपा में सुप्रीमो मायावती ही वित्तीय सर्वेसर्वा हैं ! कश्मीर और नार्थ ईस्ट केआतंकियों, बस्तर छ. ग. में नक्सलि़यों के और हैदराबाद में औवेसी जैसे नेताओं के वित्तीय ऑडिटर कौन हैं? कोई नही! क्योंकि वे खुद ही स्वयंभू सुप्रीमो हैं!
यह परंपरा लोकतांत्रिक भारत के माथे पर कलंक है ! यह संविधान का अपमान है और तानाशाहीपूर्ण मानसिकता की प्रमाण है !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें