सभी साम्प्रदायिक गटर में कूंदे यह जरूरी तो नहीं है!
शरीफ -शराफत ही दिखायें यह जरुरी तो नहीं!
कितने अंगुलिमाल हो चुके हैं बुद्धम शरणम गच्छामि,
उन पर यकीन न किया जाये यह जरूरी तो नही!
चोर-उचक्के हत्यारे व्यभिचारी भी करते हैं हज यात्रा,
सभी वंदे जन्नतनशी हो जाएं यह जरूरी तो नही!
धूर्त -पाखण्डी अंधश्रद्धा पीड़ित भी जाते हैं तीरथ,
गंगा स्नान से पाप धुल जाएंगे यह जरुरी तो नहीं।
हर पीली चमकदार धातु सोना नहीं हुआ करती ,
लेकिन स्वर्ण ही सोना न हो यह जरुरी तो नहीं।
वेशक दुनिया में आतंकवाद चरम पर है आजकल,
किन्तु सभी धर्मांध हत्यारे हों यह जरूरी तो नहीं।
बेशक इंसानियत के बरक्स हक सबके बराबर हों,
लेकिन कुदरति भेद मिट जाए यह जरूरी तो नहीं।
शापित हैं जो आतंकी मासूमों का रक्त बहाने के लिए,
उनमें अपनी खता पर शर्म आये यह जरूरी तो नहीं।
दुनिया में बहुत हुए हैं कवि लेखक चिंतक-विचारक
लेकिन सभी मेरी तरह ही सोचें यह जरुरी तो नहीं।
,:- श्रीराम तिवारी
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