भारत में दूरसंचार की शुरुआत 1850 से मानी जा सकती है ,जब डायमंड हार्बर और कोलकाता के बीच टेलीकॉम सेवा शुरू हुई थी! 1851 में, इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कं.के लिए खोला गया था। डाक और टेलीग्राफ विभाग उस समय लोक निर्माण विभाग के एक छोटे कोने में था। उत्तर में कोलकाता (कलकत्ता) और पेशावर को आगरा सहित और मुंबई (बॉम्बे) को सिंदवा घाट्स के जरिए दक्षिण में चेन्नई, यहां तक कि ऊटकमंड और बंगलोर के साथ जोड़ने वाली 4000 मील (6400 किमी) की टेलीग्राफ लाइनों का निर्माण नवंबर 1853 में शुरू किया गया।
भारत में टेलीग्राफ और टेलीफोन का बीड़ा उठाने वाले डॉ॰ विलियम ओ' शौघ्नेस्सी लोक निर्माण विभाग में काम करते थे। वे इस पूरी अवधि के दौरान दूरसंचार के विकास की दिशा में काम करते रहे।
1854 में एक अलग विभाग खोला गया, जब टेलीग्राफ सुविधाओं को जनता के लिए खोला गया था। 28 जनवरी 1882, भारत के टेलीफोन के इतिहास में रेड लेटर डे है। इस दिन, भारत के गवर्नर जनरल काउंसिल के सदस्य मेजर ई. बैरिंग ने कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने की घोषणा की। कोलकाता के एक्सचेंज का नाम "केन्द्रीय एक्सचेंज" था जो 7, काउंसिल हाउस स्ट्रीट इमारत की तीसरी मंजिल पर खोला गया था। केन्द्रीय टेलीफोन एक्सचेंज के 93 ग्राहक थे। बॉम्बे में भी 1882 में टेलीफोन एक्सचेंज का उद्घाटन किया गया।
1902 - सागर द्वीप और सैंडहेड्स के बीच पहले वायरलेस टेलीग्राफ स्टेशन की स्थापना की गयी।
1907 - कानपुर में टेलीफोनों की पहली केंद्रीय बैटरी शुरू की गयी।1913-1914 - शिमला में पहला स्वचालित एक्सचेंज चालू (स्थापित) किया गया।23 जुलाई 1927 - ब्रिटिश सम्राट के साथ उनका अभिवादन का आदान-प्रदान कर ब्रिटेन और भारत के बीच इम्पेरियल वायरलेस चेन बीम द्वारा खड़की और दौंड स्टेशनों के जरिये रेडियो टेलीग्राफ प्रणाली शुरू की गयी, जिसका उद्घाटन लार्ड इरविन ने किया।
1933 - भारत और ब्रिटेन के बीच रेडियो टेलीफोन प्रणाली का उद्घाटन.1953 में 12 चैनल वाहक प्रणाली शुरू की गई।1960 में कानपुर और लखनऊ के बीच पहला ग्राहक ट्रंक डायलिंग मार्ग अधिकृत किया गया।
1975 - मुंबई सिटी और अंधेरी टेलीफोन एक्सचेंज के बीच पहली पीसीएम (PCM) प्रणाली अधिकृत की गई।
1976 - पहला डिजिटल माइक्रोवेव जंक्शन शुरू किया गया।1979 - पुणे में स्थानीय जंक्शन के लिए पहली ऑप्टिकल फाइबर प्रणाली अधिकृत की गई। सन् 1980 -ई.में सिकंदराबाद, आंध्र प्रदेश में, घरेलू संचार के लिए प्रथम उपग्रह पृथ्वी स्टेशन स्थापित किया गया।
1983 - ट्रंक लाइन के लिए पहला अनुरूप संग्रहित कार्यक्रम नियंत्रण एक्सचेंज मुंबई में बनाया गया।1984 में सी-डॉट याने स्वदेशी विकास और उत्पादन के लिए डिजिटल एक्सचेंजों की स्थापना कर आधुनितम टेलीफोन सेवा शुरू की गई।
ब्रिटिश काल में देश के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों को टेलीफोन से जोड़ दिया गया था,जबकि 1975 में, दूरसंचार विभाग याने (डीओटी) को पी एंड टी से अलग कर दिया गया!दूरसंचार विभाग 1985 तक देश में सभी दूरसंचार सेवाओं के लिए अधिक्रत रहा !तदुपरांत महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) को दूरसंचार विभाग से अलग करके उसे दिल्ली और मुंबई की सेवाओं को चलाने की जिम्मेदारी दी गयी।
1990 के दशक में सरकार द्वारा दूरसंचार क्षेत्र को उदारीकरण- निजीकरण- वैश्वीकरण नीति के तहत निजी निवेश के लिए खोल दिया गया। इसलिए, सरकार की नीति निर्मात्री शाखा को कार्यपालिका से अलग करना जरूरी हो गया ! तदुपरांत वैश्विक खिलाड़ियों के दबाव में अटल बिहारी बाजपेई सरकार ने 1 अक्टूबर 2000 को दूरसंचार विभाग के परिचालन हिस्से को निगम के अधीन कर उसे भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का नाम दिया।
इस तरह से बीएसएनएल कई तरह के नाम से देश की सेवा करते रही जबकि इसका वर्तमान नाम 2000 में हुआ जब इसे दूरसंचार विभाग से अलग करके एक निगम बनाया गया। बीएसएनएल प्रारंभ से ही पूर्ण रूप से एक सरकारी कंपनी है जिसका 100% शेयर सरकार के पास है ! सरकारी नीति अनुसार यह ऐंसा सर्विस सेक्टर है, जिसका ध्येय पैसा कमाना नहीं है! बल्कि देश की जनता को सस्ती सुलभ दूर संचार सेवाओं प्रदान करने और संचार माध्यम के द्वारा भारत राष्ट्र को एक सूत्र में बांधना है।
बीएसएनएल के निर्माण में देश के लोगों का पूंजी और श्रम लगा है! यह जनता की याने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी है।जबकि कुछ प्राइवेट ऑपरेटर सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए ही लाइसेंस और स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रहे हैं! उनका लक्ष्य किसी तरह लाभ अर्जित करना है,क्योंकि उन्होंने लाभ कमाने के लिए ही कंपनी बनाई है! वे जनता के सेवक नही हैं,बल्कि व्यापारी हैं!
वे परोपकार के लिए नही बल्कि सरकारी सुविधा मुफ्त में हासिल कर दौलत कमाने में जुट गये हैं!
लेकिन एक सार्वजनिक कंपनी होने के नाते BSNL का लक्ष्य देश सेवा है! BSNL उन इलाकों में भी संचार सेवा देता है जहां लाभ की कोई उम्मीद नहीं है। ज्यादा आबादी वाले इलाके में तो कोई भी फायदे के लिए संचार सेवा दे सकता है! किंतु BSNL तो पहाड़ों पर, समुद्र पर, आकाश में और वीरान जगह पर भी संचार सेवा प्रदान कर जीवन रक्षक का काम करता है। श्रीराम तिवारी
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