tag:blogger.com,1999:blog-91132145696089511582024-03-13T23:16:03.279-07:00इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.comBlogger2818125tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-24258708628262576292024-03-11T21:26:00.000-07:002024-03-11T21:26:22.841-07:00महाशिवरात्रि के दिन नहीं हुआ था शिव पार्वती या शिव सती का विवाह ❤️❤️ महाशिवरात्रि के दिन नहीं हुआ था शिव पार्वती या शिव सती का विवाहआइए शिव पुराण से देखते हैं-: शिव और भगवती सती के विवाह के विषय में शिव पुराण के रुद्र संहिता के सती खंड में अध्याय नंबर 18 में श्लोक संख्या 20 में तथा रुद्र संहिता सती खंड के अध्याय नंबर 20 में श्लोक संख्या 38 में निम्नलिखित वचन प्राप्त होते हैं1) चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में रविवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-33254587039170030412024-03-11T21:18:00.000-07:002024-03-11T21:20:48.517-07:00वे खुद का भी मजाक उड़वा रहे हैं! जब मोदी जी भारत को सम्रद्धि की ओर ले जा रहे हैं,भारत में न केवल राजनैतिक स्थायित्व है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में से माफिया को नेस्तनाबूद करने में जुटे हुए हैं।विदेशमंत्री एस जयशंकर दुनिया भर में भारत का परचम लहरा रहे हैं,तब भारत के कुछ विपक्षी दल केवल पीएम नरेंद्र मोदी को कोसते रहते हैं।या वे अपनी काली करतूतों के बचाव में विपक्षी एकता का असफल प्रयास कर रहे हैं।जो कांग्रेसी कल तक मोदी जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-1936789413818702902024-03-01T01:58:00.000-08:002024-03-01T01:58:35.909-08:00 किसान आंदोलन मैं एक किसान पुत्र हूं अतः जमींदार वर्ग को छोड़ कर बाकी मझोले और गरीब किसानों की दुरुह समस्याओं को समझते हुए, हमेशा उनके हर जायज आंदोलन का समर्थक रहा हूं। इसी वजह से किसानों के पिछले आंदोलन का मैंने दूसरे एक्टिविस्टों की ही तरह सोशल मीडिया पर उस किसान आंदोलन का बढ़ चढ़ कर समर्थन किया था। किंतु जब हम सबने देखा कि किसान आंदोलन की आड़ में कुछ नकली किसानों व खालिस्तानी आतंकियों ने अपना जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-36489133573728759972024-03-01T01:54:00.000-08:002024-03-01T01:54:43.597-08:00 हम आध्यात्मिक स्तर पर अनाथ हैं ना सिर्फ हिंदू न सिर्फ ब्राह्मण न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के आंतरिक उन्नति के लिए आज के इस आधुनिक और तर्कशील युग में सिर्फ और सिर्फ ओशो और उनके द्वारा तैयार किए गए बुद्ध शिष्य ( जीवंत सतगुरु ) एक मात्र सहारा है। अन्यथा, आज के, न सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया भर के धर्म गुरु थोथे ज्ञानी है उनका असल ज्ञान से दूर-दूर तक का लेना देना नहीं है। और एक बात, सामान्य जन की आंतरिक उन्नति, जीवंत जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-83139498252144944522024-01-31T06:29:00.000-08:002024-01-31T06:30:23.708-08:00यदि आप किसी रोते हुए बच्चे को हँसा नहीं सकते, तो......? आपका संचित ज्ञानकोष चाहे कितना ही समृद्ध क्यों न हो ?यदि आप किसी रोते हुए बच्चे को हँसा नहीं सकते, तो यह आपकी समग्र असफलता है! यदि आप अपने ही सपरिजनों या बुजुर्गों को खुश नहीं कर सकते ,यदि ज्ञानी होने के बावजूद आप खुद सांसारिक खुशियों से महरूम हैं,तो आपका संचित ज्ञानकोष आपके किस काम का? ऐंसे भ्रमात्मक ज्ञान से आप तत्काल मुक्त हो जाइये ! तदुपरांत आप सहज, सरल और तरल जीवन जीने की कोशिश!यदि आप जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-87470248307483406242024-01-31T06:20:00.000-08:002024-01-31T06:20:56.362-08:00सच्चा प्रगतिशील -सच्चा धर्मनिरपेक्ष होता है। विगत 22 जनवरी को न केवल अयोध्या,न केवल भारत,बल्कि सारे संसार में जहां कहीं 'श्रीराम' के अनुयाई हैं,वहां जयघोष के साथ दिये जलाये गये। भारतीय सभ्यता,संस्कृति और मानवीय मूल्यों के अलम्बरदार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का भव्य मंदिर बन जाने के बाद सदियों की गुलामी का एहसास तिरोहित हो गया!विगत 500 वर्षों से शोषित पीड़ित सनातनधर्मी हिंदुओं के मन में तो उनके आराध्य प्रभु श्रीराम प्रतिष्ठत थे ही,जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-43397145978151391922024-01-31T06:17:00.000-08:002024-01-31T06:17:17.305-08:00 मध्यप्रदेश में 73% आरक्षण किये जाने पर एक विष्लेषण हमारे आदिवासी भाइयों को भड़काया जाता है कि देखो तुम जंगल में भटकते रहते हो, तुम वनोपज पर निर्भर हो और तुम्हारे पिछड़े होने,गरीबी के लिये सवर्ण लोग जिम्मेदार हैं! शायद इसीलिये मध्यप्रदेश में आइंदा 73% आरक्षण दिया जाएगा!हमारे बुंदेलखंड (एम.पी.) में इसका उल्टा है! दरसल यहां अधिकांश दलित आदिवासी भाई या तो बिड़ी बनाते हैं या कारीगर हैं या शहरों में मजदूरी करते हैं! जबकि सवर्ण गरीब जंगलों से जाकर महुआ जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-89377370737340049622024-01-28T06:17:00.000-08:002024-01-28T06:17:59.941-08:00 दुनिया में हिन्दुओं के अलावा सभी का कोई न कोई राष्ट्र है ! अत: *हिन्दूराष्ट्र* की मांग 100 करोड़ हिन्दुओं का जन्म सिद्ध अधिकार है ..जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-44137290661435535862024-01-28T06:14:00.000-08:002024-01-28T06:14:56.807-08:00 वही असली शंकराचार्य है जिस व्यक्ति ने सारे देश का माहौल राममय कर दिया हो वही असली शंकराचार्य है, जिस व्यक्ति ने 40 श्रम सेवकों को टनल में फंसे होने के बाद उन्हें निकालने में दिन-रात एक कर दिया हो वह सुपर शंकराचार्य है। जिसने कोरोना काल में भारतीय नागरिकों और छात्रों को सकुशल भारत वापिस बुला लिया। जिस व्यक्ति ने देश के १४० करोड़ नर नारियों को तीन तीन बार बैक्सीन लगवाई। जिसने पड़ोसी देशों और दुनिया के मित्र देशों जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-28988087776922642352024-01-28T06:08:00.000-08:002024-01-28T06:08:27.357-08:00पहचानो कौन क्षत्रिय कौन ब्राह्मण, कौन वैश्य?कौन शूद्र* पहचानो कौन क्षत्रिय कौन ब्राह्मण, कौन वैश्य?कौन शूद्र* *कौन जाट है कौन है पंडत**कौन बनिया, कौन गुर्जर**हम सब हैं बस राम के सेवक**राम ही नीचे राम ही ऊपर।।**हम सनातनियों को सिर्फ जातो में बांटा गया सिर्फ राज करने के लिए..*: *मेरा भारत महान*See insightsBoost a postAll reactions:21Rakesh Dubey, Er R. D. Badole and 19 othersजनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-36162745696287767602024-01-28T05:57:00.000-08:002024-01-28T05:57:41.513-08:00 मैं भी वामपंथी हूं।जब नूपुर शर्मा का गला काटने की धमकी दैने वाले तत्व ऐलान कर रहे थे कि वे 2047 में भारत को इस्लामिक राष्ट्र बना देंगे!तब मेरे सिवा किसी भी वामपंथी नेता ने इस गुंडई का प्रतिवाद नही किया।उल्टे भाजपा को छोड़ नूपुर शर्मा और सनातन धर्म पर टूट पड़े।जब राहुल गांधी ब्रिटिश यूनिवर्सिटी में,भारतीय लोकतंत्र और संविधान को जलील कर रहे थे,तब सीताराम येचुरी डी राजा मौन व्रत का पालन कर रहे थे।लव जेहाद*गज़वा ए जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-31937358953051372732024-01-28T05:55:00.000-08:002024-01-28T05:55:13.941-08:00जीनेकी उमंग जगाती तो है। मुश्किल से गुजरी स्याह रात के बाद,खुशनुमा एक नयी सुबह आती तो है। घर के आँगन में हो कोई हरा-भरा पेड़, तो कभी कभी गौरैया भी गाती तो है।।यों तितलियां जीती हैं सिर्फ आठ पहर,किंतु जिंदगी उनकी भी मुस्कराती तो है! जीवन चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो, भले मानुष को यह धरती सुहाती तो है!! आभामंडल मंद हो या तीव्र दीप्तिमंत का,प्रकाशकिरण उसके अंतस में समाती तो है!लहरें दरिया की हों या महासागर कीं,उमड़ जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-71606774498436845342024-01-28T05:52:00.000-08:002024-01-28T05:52:13.750-08:00कबीर के राम,,,,,,,, कबीर ने चार प्रकार के राम बताए है, जिनके बारे में नीचे दी हुई वीडियो लिंक में आप सुन सकते हैं। ओशो कहते हैं, चार में से पहले, दशरथ पुत्र राम जैसा व्यक्ति, दुनिया के इतिहास में दूसरा नहीं मिलेगा। अंदर से चैतन्य को उपलब्ध और बाहर से एक योद्धा। पहला राम दुनिया के काम का है, भीड़ के, राजनेताओं के, धार्मिक नेताओं के, काम का है। बाकी तीन राम, अंतर यात्रियों, परमात्मा की राह के पथिक, के काम जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-86827254865246462442024-01-28T05:47:00.000-08:002024-01-28T05:47:42.036-08:00अहं का बोझ उतारकर फेंक दे, जय सच्चिदानंद! आपका संचित ज्ञानकोष चाहे कितना ही समृद्ध क्यों न हो ?यदि आप किसी रोते हुए बच्चे को हँसा नहीं सकते, तो यह आपकी समग्र असफलता है! यदि आप अपने ही सपरिजनों या बुजुर्गों को खुश नहीं कर सकते ,यदि ज्ञानी होने के बावजूद आप खुद सांसारिक खुशियों से महरूम हैं,तो आपका संचित ज्ञानकोष आपके किस काम का? ऐंसे भ्रमात्मक ज्ञान से आप तत्काल मुक्त हो जाइये ! तदुपरांत आप सहज, सरल और तरल जीवन जीने की कोशिश!यदि आप जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-75296850415832750802024-01-14T06:05:00.000-08:002024-01-14T06:05:13.352-08:00तब चारों शंकराचार्य क्या कर रहे थे? शंकराचार्यों से सवाल:-सवाल नंबर १:- जब मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध के लाखों हिंदूओं को मारा,जबान हिन्दू लड़कियों को खलीफा के पास भेजता रहा,तब आप क्या कर रहे थे ? सवाल नंबर २:- जब महमूद गज़नवी सोमनाथ को लूट रहा था, लाखों हिंदुओं का संहार कर रहा था, हिंदू युवतियों को अपने लुटेरे सिपाहियों को बलात्कार के लिये बांट रहा था, तदुपरांत उन्हें घसीट कर जबरन काबुल गजनी के बाजारों में बेच रहा था, तब आप जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-9120876849578967752024-01-14T06:01:00.000-08:002024-01-14T06:01:23.607-08:00 खगोलीय स्थितियों के अनुसार मानचित्र लोगों के बीच सबसे आम धारणा यह है कि वेदों को 1500 ईसा पूर्व से लिखा गया था, जो वास्तव में बिना किसी साहित्यिक, वैज्ञानिक या खगोलीय आधार के एक मनमानी तारीख है।इसके परिणामस्वरूप लोगों को गलत विश्वास हो जाता है कि सिंधु घाटी सभ्यता, हिंदू-पूर्व है, क्योंकि यह तथाकथित 1500 ईसा पूर्व वैदिक काल की शुरुआत से पहले की है।लोकमान्य तिलक ने मुख्य रूप से सूत्र साहित्य से विभिन्न वैदिक मंत्रों का विस्तृतजनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-39853465672203834962024-01-14T05:56:00.000-08:002024-01-14T05:56:44.095-08:00यदि सेवा है तो वेतन भत्ते क्यों सवाल :- राजनीति सेवा है या नौकरी? यदि सेवा है तो वेतन भत्ते क्यों, पेंशन क्यों और यदि नौकरी है तो CCS Conduct Rules लागू क्यों नहीं? उत्तर :-राजनीति न नौकरी है और न सेवा, यह तो लोकतांत्रिक व्यवस्था की आवश्यक मशीनरी है!और यह राजनीति जनादेश पर डिपेंड है! देश चलाने के लिए कुछ चुनिंदा मेहनती और देशभक्त ,ईमानदार नेता चाहिये होते हैं! यदि वे दुहरा लाभ लेते हैं, तो यह अनुचित नहीं है! जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-69283565130049873432023-11-09T05:54:00.001-08:002023-11-09T05:56:21.640-08:00 जैसे समाधि को उपलब्ध होने के लिए आपका शरीर में होना आवश्यक है, वैसे ही, आपके मार्गदर्शन के लिए, आपके सतगुरु का भी शरीर में होना अत्यावश्यक है। जीवंत सतगुरु ही सहायक हो सकता है। शरीर छोड़ चुके सतगुरु के प्रति श्रद्धा बनी रहेगी ही, लेकिन, समझ कर रहें, कि, उस ट्रेन का डिपार्चर टाइम हो गया, वह बैठ चुके यात्रियों को लेकर निकल चुकी है। अब आप को, स्वयं ही, अपने सानिध्य और सत्संग के लिए सतगुरु खोजनाजनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-34944512195087978482023-11-09T05:49:00.002-08:002023-11-09T05:49:21.871-08:00*मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ कल्पना का नाम 'ईश्वर 'है !* *मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ कल्पना का नाम 'ईश्वर 'है !*सैकड़ों साल पहले जब नीत्से ने कहा था कि ''ईश्वर मर चुका है '' तब फेस बुक ,ट्विटर और वॉट्सअप नहीं थे , वरना साइंस पढ़े -लिखे और साइंस को ही आजीविका बना चुके धर्मांध सपोले उस 'नीत्से' को भी डसे बिना नहीं छोड़ते। आज चाहे आईएसआईएस के खूंखार जेहादी हों ,चाहे पाकिस्तान प्रशिक्षित कश्मीरी आतंकी हों ,चाहे जैश ए मुहम्मद और सिमी के समर्थक हों या जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-72715834049134197772023-11-09T05:43:00.001-08:002023-11-09T05:43:15.366-08:00सतगुरु की चेतना जैसे समाधि को उपलब्ध होने के लिए आपका शरीर में होना आवश्यक है, वैसे ही, आपके मार्गदर्शन के लिए, आपके सतगुरु का भी शरीर में होना अत्यावश्यक है। जीवंत सतगुरु ही सहायक हो सकता है। शरीर छोड़ चुके सतगुरु के प्रति श्रद्धा बनी रहेगी ही, लेकिन, समझ कर रहें, कि, उस ट्रेन का डिपार्चर टाइम हो गया, वह बैठ चुके यात्रियों को लेकर निकल चुकी है। अब आप को, स्वयं ही, अपने सानिध्य और सत्संग के लिए सतगुरु खोजनाजनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-74580560432011274412023-11-09T05:39:00.004-08:002023-11-09T05:39:56.913-08:00ज़रा होश में आ लूँ तो चलूँ! अपनी सोई हुई दुनिया को जगा लूँ तो चलूँ ! अपने ग़म-ख़ाने में इक धूम मचा लूँ तो चलूँ !!और इक जाम-ए-मय-ए-तल्ख़ चढ़ा लूँ तो चलूँ !अभी चलता हूँ ज़रा ख़ुद को सँभालूँ तो चलूँ !!जाने कब पी थी अभी तक है मय-ए-ग़म का ख़ुमार !धुँदला धुँदला नज़र आता है जहान-ए-बेदार!!आँधियाँ चलती हैं दुनिया हुई जाती है ग़ुबार !आँख तो मल लूँ ज़रा होश में आ लूँ तो चलूँ!!वो मिरा सेहर वो एजाज़ कहाँ है लाना! मेरी खोई हुई जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-76982740727508199272023-11-03T05:59:00.003-07:002023-11-03T05:59:45.633-07:00वर्ण व्यवश्था - एक वैज्ञानिक सिद्धांत 🤔 वर्ण - एक वैज्ञानिक सिद्धांत कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि और सब बातें छोड़ भी दो, तो भी क्षत्रिय हो, और क्षत्रिय के लिए युद्ध से भागना श्रेयस्कर नहीं है। इसे थोड़ा समझ लेना जरूरी है, कई कारणों से। एक तो विगत पांच सौ वर्षों में, सभी मनुष्य समान हैं, इसकी बात इतनी प्रचारित की गई है कि #कृष्ण की यह बात बहुत अजीब लगेगी, बहुत अजीब लगेगी, कि तुम क्षत्रिय हो। #समाजवाद के जन्म के पहले, सारी पृथ्वी पर,जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-5441599519523480272023-11-03T05:56:00.001-07:002023-11-03T05:56:12.319-07:00वृत्ति जन्य अनुभव जीवन में जो भी है उसे मित्रता से और अनुग्रह से स्वीकार करो।शत्रुता का भाव अधार्मिक है।स्वीकार से परिवर्तन का मार्ग सहज ही खुलता है।शक्ति तो सदा ही तटस्थ है।वह न बुरी है न अच्छी। शुभ या अशुभ सीधे नहीं वरन् उसके उपयोग से ही जुड़े हैं।"******************गीता के दो श्लोक महत्वपूर्ण हैं।एक तो ईश्वरीय शक्ति सबको घुमाती रहती है।दूसरा जीव अहंमूर्छित होकर,'मैं कर्ता हूं' ऐसा मानकर कर्म करता है।जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-87607691948220040512023-11-03T05:53:00.001-07:002023-11-03T05:53:27.602-07:00#पाव, #पौना, #सवा, #डेढ़, #ढाई और #साढ़े के रूप लक्ष्मी माने गणित, गणित माने पहाड़ा, जिसको पाव, अद्धा, पौन, सवा, डेढ़, अढ़ैया का पहाड़ा याद होता - उसे बनियई आ जाती, बनियई यानी वैश्य वृत्ति - लक्ष्मी अष्ट कमल, षोडश कमल यानी चार के गुणांक वाले कमल पर ही क्यों विराजती हैं ? उन्हें चतुर्भुज नारायण ही क्यों प्रिय हैं, उन्हें चार या चार के गुणांक वाली संख्या ही क्यों प्रिय है ?आइये ! पढ़िये #पाव, #पौना, #सवा, #डेढ़, #ढाई और #साढ़े के रूप में प्रचलित जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9113214569608951158.post-57876153317126717572023-11-03T05:39:00.001-07:002023-11-03T05:39:02.650-07:00बहेलियों का जाल वरना हर तरफ तैयार है। महाकाव्य का सृजन करें वर्ण-शब्द-पंक्तियाँ, बलिदान जनित चादर हो रही तार-तार है।एकजुट होकर बचा लो नीड़ अपना पंछियों,बहेलियों का जाल वरना हर तरफ तैयार है।।जिनका योग रत्तीभर नहीं था स्वातंत्र्य यज्ञ हवन में,वे पी गये अमृत कलश शिव कंठ गरल व्याल है।सहज नहीं जीवन तुम्हारा सरित सर की मछलियों,कदम-कदम पर घात में सैंकड़ों घड़ियाल हैं।।एकजुट होकर बचा लो नीड़ अपना पंछियों,बहेलियों का जाल वरना हर तरफ जनवादी कविhttp://www.blogger.com/profile/17516020681954789490noreply@blogger.com0