जब कोई इंसान अपनी मेहनत की कमाई से मकान (घर) बनवाता है,तो वह अपनी जान से ज्यादा अपने घर को प्यार करता है! वह कभी भूलकर भी अपने मकान को नुकसान नही पहुँचाता! जबकि किराएदार हो या वेशर्म असभ्य अतिथि वह नुकसान किये बिना नही रहता! लगभग यही हालात भारत देश की है!
जिन्होंने इस मुल्कको आजाद कराने के लिये संघर्ष किया,एकजुट किया वे जब तक जिंदा रहे ,अपने वतन की तरक्की और सुरक्षा के लिये प्राणपण से जुटे रहे! अंत में वे अपने वतन की खातिर प्राण न्यौछावर कर गये!
लेकिन जिनके पूर्वजों का आजादी की लड़ाई में रत्ती भर योगदान नही रहा,जो लोकतंत्र में जाति - मजहब का जहर घोलते रहे,जो आरक्षण का अलापते रहे,जो मुनाफा खोरी करते रहे,जो बिना रिस्वत के कोई काम नही करते,! पूंजीखोर दो नंबरी सिर्फ कानपुर उन्नाव में ही नहीं होते,बल्कि वे पूरे भारत में लाखों की तादाद में भरे पड़े हैं! उनके मकान भी पीयूष जैन के भवनों की तरह अपने घरों मकानों में किवंटलों सोना निगल चुके हैं! उन महा भ्रस्टों के लिये यह मुल्क चरागाह बन चुका है!
इन लोगों को इस मकान रूपी मुल्क की रत्ती भर चिंता नही! जिसे अपने वतन की चिंता होती है, वह तो शहीद भगतसिंह,चंद्रशेखर आजाद,सुखदेव, महात्मा गांधी,लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधीकी तरह अपनी शहादत के लिये हमेशा तैयार रहता है!
सादगी देखनी हो तो महा चोट्टे दलाल कानपुरिया पीयूष जैन की देखो, साले ने घर में 257 करोड़ रुपया नकद, 250 किलो चांदी,25 किलो सोना छिपा रखा था,लेकिन बंदा न तो फार्च्यूनर से चलता था और न स्कार्पियो से!
पीयूष जैन के घर में 15 साल पुरानी एकठौ टोयटा क्वालिश गाड़ी है,पीयूष जैन खुद एक बाइक से नियमित चलता है! एक भ्रस्ट और राजनैतिक दलाल की सादगी पर कौन न बलिहारी जाए ?
उपसंहार :- यहां हमारे पड़ोसियों के पास यदि कहीं से 5 लाख रु आ जाएं तो क्रेटा फाइनेंस कराने शो रूम पहुंच जाते हैं।
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