हाल ही में लाहौर की (पाकिस्तानी)संस्था "जीवे पंजाब " ने *पुरू दिवस* मनाया। एक दर्जन से अधिक पंजाबी बुद्धिजीवियो ने कहा की पंजाब(पाकिस्तान)के भूमि पुत्र ही हमारे असली हीरो है। हमारे पंजाब पर हमला करने वाला कोई भी हमलावर हमारा हीरो नही हो सकता।
इस बैठक मे एक प्रस्ताव पारित करके पाकिस्तान सरकार से मांग की गई कि झेलम मे *महाराज पुरू* की मूर्ति स्थापित की जाए।
सिंध विश्वविद्यालय के एक ऐतिहासिक अन्वेषक जनाब लतीफ लुगारी ने bhi एक *अनुसंधान पत्र* सिंध विश्वविद्यालय की गोष्ठी में प्रस्तुत किया ! जिसमें सिंध के अंतिम हिन्दू सम्राट राजा दाहिर के शौर्य की शानदार शब्दों में प्रशंसा की गई है। उन्होंने अपने भाषण में सिंध प्रदेश में राजा दाहिर की पुरानी राजधानी के भग्नावेषों का वीडियो भी पेश किया है। उन्होंने कहा कि एक सिंधी होने के नाते उन्हें राजा दाहिर पर गर्व है।
स्वाधीनता सेनानी और *जिये सिंध* के एक बहुत बड़े पाकिस्तानी नेता जी एम सईद जो कि कट्टरपंथियों और तत्कालीन फौजी सरकार के लिये आँख की किरकिरी हुआ करते थे, उन्होंने लगभग 50 साल पहले ऐलान किया था :-
" मैं 25 साल से पाकिस्तानी हूँ,1400 साल से मुसलमान हूँ और सनातन से सिंधी (हिंदू) हूँ! "
उनके इसी सिद्धांत के प्रकाश में हाल ही में पेशावर विश्वविद्यालय में इस्लाम से पूर्व के पाकिस्तानी इतिहास पर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन किया गया!जिसमें दस अनुसंधान पत्र ब्राह्मणशाही के राजाओं के बारे में पेश किए गए। इस गोष्ठी में एक उद्भट विद्वान *मोहम्मद सईद* ने *हुंजा* के गैर मुस्लिम कबीले पर एक अनुसंधान पत्र पेश करते हुए दावा किया कि "यह कबीला विशुद्ध आर्यन रक्त का है और आज भी इसमें जो भाषा बोली जाती है वो प्राचीन संस्कृत का ही एक रूप है !"
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