विगत 75 साल में बांग्लादेश,पाकिस्तान और भारत के |कश्मीर प्रांत में कितने हिंदू अब तक मारे गये, यह बताने को कोई तैयार नही है! क्योंक जिन देशों में मुस्लिम कौम बहुसंख्यक हैं, वहां या तो अल्पसंख्यक मार दिये गये या जबरन मुसलमान बना दिये गये ! ऐन केन प्रकारेण जो हिन्दू पाशविक बर्बरता से बच गये,वे अधिकांश दलित ही हैं!
अतीत में भारत के हरिजन आदिवासियों को और दलितों को जो घोर अत्याचार सहने पड़े हैं! उन्हें उनसे कई गुना अत्याचार (भारत) पाकिस्तान बांग्लादेश के दलित- हरिजन आदिवासियों को सहने पड़े हैं! अनेक आपदाओं के बावजूद इन महान लोगों ने बांग्लादेश पाकिस्तान में अनेक जुल्मों को सहा है!
भारत सहित दुनिया हिंदू भर में हिंदू समाज पर बर्बर- अत्याचार हुए, फिर भी यदि उनने अपना सत्धर्म नही छोड़ा और अपने सन्मार्ग पर अविचल रहे तो उनका यह बलिदान और गौरवपूर्ण इतिहास विस्म्रत क्यों किया गया! विश्व हिंदू समाज का गौरवपूर्ण इतिहास लिखने का उत्तरदायित्व किसका था!
बेशक मुस्लिम मुल्ला मौलवियों उलेमाओं, अंग्रेज,डच,जर्मन,फ्रेंच इतिहासकारों, कांग्रेसी चिंतकों और दुनिया के तमाम वामपंथी इतिहासकारों ने यदि हिंदू कौम पर हुए अत्याचारों का सांगोपांग इतिहास नही लिखा,तो यह कोई आश्चर्य की बात नही है! क्योंकि वे संघ परिवार की तरह अपने आप को हिंदुत्व का झंडाबरदार नही बताते!
किंतु 'विश्व हिंदू परिषद',हिंदू महा सभा और RSS के बौद्धिकों को यह हिंस्र दमनात्मक इतिहास लिखने से किसने रोका था ? इनने अपनी खामियां और कमियां दुरूस्त करने के बजाय,हिंदू समाज को वोट बैंक बनाकर सत्ता हथियाई और उसे पूंजीपतियों की सेवा में सादर समर्पित कर दिया! इन्होंने या तो खुद का अतिशयोक्तिपूर्ण यशोगान किया है, या फिर विजातीय विधर्मियों की आलोचना में वक्त बर्बाद किया है!गरीब हिंदू अभी भी असुरक्षित है! श्रीराम तिवारी
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