विगत 5 साल में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्राह्मणों की ऐंसी दुर्दशा कर डाली है कि बुआ से लेकर भतीजे तक को बेचारे ब्राह्मणों पर तरस आ रहा है ! ब्राह्मणों के स्वागत में जगह जगह पलक पॉवड़े बिछ रहे हैं! सोशल इंजीनियरिंग की बात हो रही है! अब न कोई मनुवाद है न तिलक तराजू , तलवार की चर्चा है,न कोई ब्राह्मणबाद की बात करता है!
दरसल इस बार यूपी विधानसभा चुनाव की खासबात यह है कि पहले तो हजारों शहीद किसानों को खालिस्तानी,देशद्रोही,आतंकी बताकर मोदी सरकार ने भाजपा की बर्बादी का आधा फसाना खुद लिख डाला ! बाकी शेष आधा काम कोरोना काल में गंगा मैया में तैरती लाशों ने पूरा कर दिया!
इसके अलावा योगी ठाकुर ने चुन चुनकर ब्राह्मणों पर हमले किये,उन्हें बेइज्जत किया और यूपी भाजपा की डूबती नैया को अपने अहंकार के वजन से गर्त में धकेल दिया है ! भाजपा की डूबती नाव से दलबदलू चूहे उछल कूंद मचा रहे हैं!
अतीत में भाजपाइयों ने दलबदल कराकर मध्यप्रदेश गोवा सहित कई राज्यों में भाजपा की सरकारें बनाई हैं!उसी खरीद फरोख्त का जबाब है कि अब यूपी में भाजपा छोड़कर स्वामीप्रसाद मौर्य जैसे कई अति पिछड़े नेता कूंद फांदकर मुलायम परिवार (पिछड़ों ) के साथ जा मिले हैं! इस रेलमपेल में बाकी सब वही दुहराया जा रहा है ,जो अतीत में कांग्रेस -भाजपा करती आई हैं!
इसमें नया सिर्फ यह है कि अब हर पार्टी चाहती है कि नंगे भूखे बेरोजगार गरीब सर्वहारा ब्राह्मणों का समर्थन (आशीर्वाद) उन्हें मिल जाए! ताकि भारत के सबसे बड़ी जनसंख्या वाले प्रदेश पर राज कर सकें और अपने कुटुम्ब कबीले की अनैतिक घपलों से बढ़ी हुई आर्थिक समर्द्धि और पूर्व में किये गये जघन्य अपराधों को ED/IT/CBI के छापों से बचा सकें..
* यह लोकतंत्र है या भेड़तंत्र ?
*जातिवाद की राजनीति..छि:!
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