चुनाव पूर्व जो वादा किया था अमीरों से,
दिल से वादा निभाया कुछ बाकी नही है !
खैरियत नही सियासत में उनकी साथियो,
जो साहिब की 'हाँ में हाँ'मिलाते नहीं है !
सिर्फ कहने को उदारवादी विकेंद्रीकरण है,
केन्द्रीकृत हैं पावर किसीकी चलती नही है !
भृकुटी विलास पे सबको नचाते हैं जो नेता,
लोकतंत्र की झलक उनमें दिखती नही है !
हत्भाग्य है वतन बिक रहे देश के उपक्रम,
खामोश है तरुणाई आवाज उठती नहीं है !
चोट खाकर भी नही संभलेगर हिंदुस्तानी,
तो समझ लो नयी पीढ़ीकी खैरियत नही है!
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