विगत शारदीय नवरात्रि पूजन में कलश स्थापना के लिये किसी ने मुझसे पूजा के लिये आम के पत्ते मांगे! मेरे घर के पास दो आम के पेड़ हैं! एक मेरा निजी आम का पेड़ मकान के बगीचे में और दूसरा पड़ोस में खाली प्लाट पर,मेरी दीवाल से सटा हुआ! पूजा पाठ तिथि त्योहार पर लोग हमारे यहाँ से आम के पत्ते ले जाते हैं!
नवरात्रि पर जब एक सज्जन ने आम के पत्ते मांगे तो मैने छत पर जाकर अपने निजी आम के उस तरफ की डगाल तोड़कर उन्हें दे दी,जिसके आम पड़ोसी चुरा लेता था! वह डगाल चूंकि पड़ोसी के मकान की छत को छू रही थी! अत: मैने पत्ते न तोड़कर पूरी डगाल तोड़कर दे दी!
कल नहाने के बाद जब मैं छत पर धूप में तेल मालिश कर रहा था,तब आम की उस टूटी डगाल के डुटठ पर अचानक नजर पड़ी! मैने देखा कि आसपास आम के किसी पेड़ में अभी कहीं बौर नही आए!मेरे आम के पेड़ में भी कहीं बौर नही आए, सिवाय उस डगाल के,जिसका अग्रभाग मैने मरोड़कर बेरहमी से तोड़ा था, उसके टूटे हुए सिरे पर अब बौर आ गए हैं! मैं हतप्रभ हूँ!
मेरा सवाल यह है, कि जिन शाखाओं को मैने प्रेम से निहारा, पाला पोषा, उनमें अभी बौर नही आए, हो सकता है कि आने वाले दिनों में बौर आ जाएं और बसंत बहार आ जाए! किंतु जिस डालको मैने बेरहमी से तोड़ा -मरोड़ा, सबसे पहले उसमें ही बौर क्यों आ गए ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें