शमो दमस्तप शौचं क्षांति आर्जवं एव च! ज्ञानम् विज्ञानम् आस्तिक्यम् ब्रह्म कर्म स्वभावजम!"
-भगवद गीता
अर्थात : किसी भी व्यक्ति में चाहे वह किसी भी जाति का हो, यदि उपरोक्त श्लोक के अनुसार धर्म पालन करने का गुण और कर्म करने की क्षमता है,तो वह ब्राह्मण है! जो लोग इस श्लोक का अर्थ ही नही जानते, वे बड़े स्वयंभू कुलीन ब्राह्मण होने का दंभ न भरें,क्योंकि सिर्फ जाति में जन्म लेने से कोई
ब्राह्मण नही हो जाता!
केवल *ब्रह्मों जानाति स: ब्राह्मण:*
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