सोमवार, 17 जनवरी 2022

ॐ गणतंत्राय नमः

 जिन समाजों और राष्ट्रों ने आधुनिक विज्ञान और लोकतन्त्र के जन्म की प्रसव पीड़ा खुद नहीं भोगी, उन्हें उधार में मिले विज्ञान और लोकतन्त्र की न तो समझ है न तमीज है। ॐ गणतंत्राय नमः !

वे विज्ञान और लोकतंत्र को भी 'झाड़ फूंक' की तरह ही सड़कों पर इस्तेमाल करते रहते हैं। जिन्हें संविधान के नीति निर्देक सिद्धांतों और विधायिका के कर्तव्यों का रत्ती भर ज्ञान नही वे संसद और विधान सभाओं में ऊँघते रहते हैं! कुछ तो सरकार और सत्ता का वंश दर वंश लाभ उठाते हुए,अधोगति को प्राप्त होते रहते हैं!
जय संविधान ...जय भारत .. जय ..गणतंत्र

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