बुधवार, 19 जनवरी 2022

ये चमन है जिंदादिलों का शमशान नही है!!

 किसीके दिलमें यदि दीनों ईमान नहीं है!

इन्सान क्या ? वो तो इन्सान भी नहीं है!!
माना कि डगर किसीकी अन्जान नहीं है!
मुश्किल है राह बहुत ये आसान नहीं है!!
घुट घुट के गरीबीमें जीता रहा जो अबतक,
मुफलिसी पे उसकी खुदा मेहरबान नहीं है!
गुलजार रखो हमेशा घरों को अपने अपने,
ये चमन है जिंदादिलों का शमशान नही है!!
मिलता हो जहाँ माल खरा,दाम सही हों,
इस शहर में ऐसी कहीं कोई दूकान नहीं है !
दुनिया में भला कौन है वो शख्स जिसका,
वक्त -हालात के हाथों में गिरेबान नहीं है!!
यह सोचकर ग़म भुला देता है खाकसार,
सारे संसार में भला कौन परेशान नहीं है !

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