वही देश का मालिक हो ,
जिस हाथ कुदाली छेनी हो !
जो बात सभीके हित की हो,
वो बात जुबां खुद कहती हो !!
यदि सामाजिक समरसता हो
तो क्यों ऊंच नीच की श्रेणी हो !
यदि अभिव्यक्ति की आजादी हो,
तो क्यों फासीवाद का फंदा हो!!
यदि धर्मनिरपेक्षता समाजवाद हो,
तो कभी न साम्प्रदायिक दंगा हो!
क्यों बर्बरता और गुलामी हो?
यदि संस्कृति गंगा जमुनी हो !!
न कोई नंगा भूंखा शोषित हो,
शोषण की रहे न निशानी हो !!
यदि मूल्य आधारित शासन हो,
तो क्यों किसान मजदूर की हानी हो ?
समझ जिन्हें हो भले बुरे की,
राष्ट्रकी सत्ता उनको ही देनी हो !!
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें