गुरुवार, 13 जनवरी 2022

नवराष्ट्रीयकरण

 मोदी सरकार ने निजी टेलिकाम ऑपरेटर *वोडाफोन* को मजबूर कर दिया कि वह या तो स्पेक्ट्रम चार्ज,ADC और सम्पत्ति कर इत्यादि के रूप में भारत सरकार को तुरंत 35000 करोड़ रुपया नकद जमा करे या फिर भारत सरकार के *बकाया भुगतान* के एवज में अपने 35.8% शेयर भारत सरकार को सौंप दे!

पहले तो वोडाफोन ने कोर्ट के खूब चक्कर लगाए, बड़े बड़े वकील किये,करोड़ों रुपया खर्च किया,किंतु माननीय कोर्ट का निर्णय बहुत शानदार रहा! वोडाफोन को कोई राहत नही मिली! क्योंकि फैसला उसके खिलाफ गया! अंतत: मजबूरी में वोडाफोन ने भारत सरकार को 35.8% इक्युटी शेयर देकर कंपनी की प्रभुसत्ता भारत सरकार को सौंप कर जान बचाई! जो लोग निजीकरण की वकालत करते रहे हैं, उनके लिये यह एक मानसिक पक्षाघात जैसा हादसा है!
टेलिकाम क्षेत्र में अब तक निजीकरण और कार्पोरेटाइजेशन का ही बोलवाला रहा है !किंतु अब वक्त ने करवट ली है,सरकार ने एक विदेशी निजी कंपनी को टेक ओवर करके,न केवल अपना साहस दिखलाया है अपितु भारत में नये दौर के सरकारीकरण (नवराष्ट्रीयकरण) * की शुरुआत कर दी है!
नोट:- नवराष्ट्रीयकरण शब्द का निर्माण और उपयोग श्रीराम तिवारी ने किया है!

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