रविवार, 2 जनवरी 2022

कौन कौन तर गए तीरथ करें से, तरेंगे वही जिनके ह्रदय में हरि हैं!

 हम हिंदू लोग धर्मांधता में बेजोड़ है, हम हमारे धर्म के पूजा पर्व और कर्मकांड या जलसे जुलुस में तो भगदड़ से मरते ही है, किंतु साथ ही हम इतने धर्मांध हैं कि *ईसवी सन्* जैसे विधर्मी पर्व के पहले दिन वैष्णव देवी जैसे पवित्र धर्मस्थलों पर भगदड़ से मरने के लिये कड़कड़ाती ठंड में भी पहुंच जाते हैं !

दुनिया में तीन अरब से अधिक ईसाई हैं,किंतु 1 जनवरी को एक भी ईसाई कहीं किसी चर्च में भगदड़ से नही मरा! इसी तरह दुनिया में 56 मुस्लिम देशोंमें करोड़ों मुस्लिम हैं,और वे आतंकी बनकर तो मर सकते हैं, किंतु मस्जिद में नमाज पढ़ते हुए, एक भी मुस्लिम भगदड़ से नही मरा!
इसीलिए कबीरदास जी कह गए हैं कि :-
कौन कौन तर गए तीरथ करें से, तरेंगे वही जिनके ह्रदय में हरि हैं!
धर्म का पालन खूब करो, किंतु धर्मांधता से और भीड़ से बचो ...और कोरोना से भी बचो!

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