साधारणत: लोग इसकी परवाह नहीं करते कि आप कितने ज्ञानी हैं, कितने धनवान हैं,कितने प्रभावशाली और ऐश्वर्यशाली हैं ! वे तो केवल यह जानना चाहते हैं कि आप उनके किस काम के हैं।”
सामान्य प्रथा है कि लोग इसलिए नमस्कार करते रहते हैं कि जाने कब क्या काम पड़ जाए. इसलिए रिटायरमेंट के बाद भी कुछ ऐसी तरकीब होनी चाहिए कि लोग लाभान्वित हो सके जैसे मैंने निशुल्क कानूनी सहायता केंद्र पिछले 12 वर्ष से खोल रखा है और प्रतिदिन मेरे यहां सिविल क्रिमिनल और सर्विस मैटर के लिए सलाह लेने हेतु आदमी आते जाते रहते हैं और बाकी लोग भी आते हैं इसके लिए रिटायरमेंट से पूर्व के 10 सालों में मैंने कानून की अच्छी खासी लाइब्रेरी तैयार कर ली थी और अब इसी में ऑफिस चल रहा है तथा कोर्ट भी जाते हैं. भगवान की कृपा से अभी तो जंग नहीं लगी यदि बैठे रहते तो लग जाती .
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