महर्षि दधीचि से लेकर चंद्रशेखर आजाद तक,पूर्व वैदिक काल से उत्तर आधुनिक काल तक पूरी की पूरी सनातन परम्परा ब्राह्मणों के बलिदान की गाथा ही है। तो क्या हुआ बड़ा होने के लिए मूंग बड़े की तरह पहले मूंग को दलना पड़ता है ,फिर दाल को गलना पड़ता है ,फिर दाल को पीसकर कचूमर बनना पड़ता है ,फिर गर्म तेल में तला जाना पड़ता है ,फिर छांछ दही में सड़ना पड़ता है ,इसके बाद बड़ा बनता है।ब्राह्मण बड़ा है ,यह आपके और मेरे कहने से ठाकुर सुहाती है ,असली तारीफ़ तो भास्कर में छपी थी की दुनिआ की टॉप १० कंपनियों में से ६ के शीर्ष अधिकारी ब्राह्मण हैं। बधाई !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें