"जब सवर्ण को संविधान में समानता का अधिकार ही नहीं तो आप गणतंत्र दिवस की बधाई क्यों दे रहे हैं ?" क्षत्रियों, ब्राम्हणों और दीगर लोगों ने अरबों, मुगलों और अफ़गानों से देश की रक्षा करने में अपनी अनेक पीढ़ियां और वंश कुर्बान कर दिए!
सालों नहीं, सदियों तक!
बताते हैं कि एक समय ऐसा भी आया जब राजपूताने में युवाओं की तादाद एक चौथाई रह गई थी! उन बलिदानों का क्या हश्र और क्या मुआवजा देश ने दिया??
अब तो लगता है कि सारे विधान सिर्फ़ सत्ता हथियाने के लिए ही बनाए गए हैं!
अब ऐसे लोकतंत्र के क्या मायने?
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