जैसे गूगल सर्च में ,सिमट रहा संसार ।
वैसे नंदन नीलेकणि ,बना गए आधार।।
बना गए आधार, खतरे में सबका डॉटा ।
किसके घर में कितना,नोन तेल है आटा।।
महंगाई की मार, रोजगार की ऐंसी -तैसी।
भूंखे को 'आधार' ,कागज के टुकड़े जैसी ।।
श्रीराम तिवारी
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