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हमारे पूर्वज कहते आए हैं कि *आत्मा ही परमात्मा है * चूँकि परमात्मा इस मायिक,(भौतिक) संसार से परे है,अत:सुख-दुख, सर्दी-गर्मी,हानि-लाभ,मान-अपमान इत्यादि सारे अनुभव इस शरीर और उसके अनुषंगी चित्त की भौतिक स्थितियां ही हैं!
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