रविवार, 9 जनवरी 2022

 अल्पाक्षरं असंदिग्धं सारवत्‌ विश्वतोमुखम्‌।

अस्तोभं अनवद्यं च सूत्रं सूत्र विदो विदुः॥
विष्णुधर्मोत्तर पुराण (३.१.५)
(अर्थात कम अक्षरों वाला, संदेहरहित, सारस्वरूप, निरन्तरता लिये हुए तथा त्रुटिहीन (कथन) को सूत्रविद *सूत्र* कहते हैं।)

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