रविवार, 24 अक्टूबर 2021

छोटी छोटी एवं काम की बातें

१. आजकल किताबी ज्ञान से ज्यादा जरुरी हिसाबी ज्ञान होता है, कम से कम अपने नफ़ा नुकसान का हिसाब लगा सकने लायक.
२. काम से अधिक काम का प्रचार,इश्क से अधिक इश्क का इज़हार, सच्ची शुभकामना/ममता से अधिक अच्छा सा उपहार अधिक कारगर होता है,पर गुस्से का इज़हार तो बिलकुल भी नहीं.
३.जिसको बल से नहीं हराया जा सकता है उसे छल से या फिर दल से नहीं तो आखीर में कल(धैर्य) से हराना चाहिए.
४. अपवादों को अगर छोड़ दिया जाय तो माता पिता का अपनी संतान के प्रति जीवन भर एक भावनात्मक लगाव रहता है, मगर आत्मनिर्भर होने के बाद संतान का अपने माता पिता के प्रति मात्र औपचारिक.
५.आम तौर पर पत्नियाँ अपने हित की भी जो बात अपने पतियों के द्वारा लाख समझाये जाने पर भी नहीं समझतीं, वही पति के मित्रों के द्वारा आसानी से समझ जाती हैं.
६.वह व्यक्ति मूर्ख होता है जो सामने वाले को कम अक्ल का समझता है, और वह महामूर्ख जो ऐसा कहता भी है.
७. साधारणतया लोग अन्य मामलों में हिसाब से ही पैसा खर्च करते हैं पर ताव,भाव, लगाव, और घाव (बीमारी) में हैसियत से अधिक बढ़कर खर्च करते हैं.
८. बचपन में जिन बच्चों को यह मलाल रहता है कि उनके लिए माँ बाप ने ये नहीं किया,वो नहीं किया; बाद में बड़े होने पर उनके बच्चों को भी उनसे दूसरी चीजों के लिए काफ़ी मलाल रहता है.
९.परिवार में(या कार्यस्थल पर) सबके लिए और सबसे अधिक खटने वाले व्यक्ति की ही सबसे अधिक उपेक्षा होती है, अधिकतर लाभ ड्रामेबाज ही उठाते हैं.
१०. सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए यह जरूरी है कि पत्नी कम बोलने वाली हो और पति कम सुनने वाला हो.
११. अक्सर व्यंग्यबाणों से अधिक प्रभावी व्यंग्य से मुस्कुराना होता है.
१२. सबको दूसरों का धन ज्यादा और फालतू, दूसरों की बीबी अधिक सुघड़, सुन्दर और समझदार ; अपनी अक्ल बड़ी,अपनी औलाद अधिक सुन्दर और होशियार लगती है.

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