हे ! पापमोचनी हिमगिरिनंदनि जन गण तोशनि,
पावन गंगा निर्मल नीर भरो !
हे ! भुवनभास्कर तिमिरनाशकर जगत प्रकाशक,
दुर्मति मानव भस्मी भूत करो !
हे ! अवनि सुशोभनि थलचर धारनि भू मि धरे ,
नभमंडल का हाहाकार सुनो !
हे ! प्रलयंकर रूप भयंकर वैश्वानर हे अग्निदेव,
कठिन कराल दुष्टजन हन्ता देव सुनो।
जलचर नभचर थलचर सबके जीवन दाता,
परम पयोनिधि नभपथगामी मेघ सुनो !
नव नभ, नव रवि, नव ऋतु और नव मानव गति ,
नव क्रान्ति की झंकार सुनो !
आएगा नया जमाना जब नदियां कल कल बहतीं होंगीं,
तब मानव मात्र वसुंधरा का नाद सुनो!
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