शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2021

परम पयोनिधि नभपथगामी मेघ सुनो !

 हे ! पापमोचनी  हिमगिरिनंदनि जन गण तोशनि,

पावन गंगा निर्मल नीर भरो !

हे ! भुवनभास्कर तिमिरनाशकर जगत  प्रकाशक, 

 दुर्मति मानव भस्मी भूत करो ! 

हे ! अवनि सुशोभनि थलचर धारनि भू मि धरे ,

नभमंडल का हाहाकार सुनो !

हे ! प्रलयंकर रूप भयंकर वैश्वानर हे अग्निदेव,

कठिन कराल दुष्टजन हन्ता देव सुनो। 

जलचर नभचर थलचर सबके जीवन दाता,

परम पयोनिधि नभपथगामी मेघ सुनो !

नव नभ, नव रवि, नव ऋतु और नव मानव गति ,

नव क्रान्ति की झंकार सुनो !

आएगा  नया जमाना जब नदियां कल कल बहतीं होंगीं,

तब मानव मात्र  वसुंधरा का नाद सुनो! 


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