रविवार, 24 अक्टूबर 2021

चिरागों को खबर कर दो कि ये अंधों की बस्ती है!

 तड़प दिल में जरूरी है कि आंखों में नमी होना,

किसी की आरज़ू में लाजिमी है बेबसी होना।
अब समय आया है कि बेखौफ होकर सच बोलो,
नहीं अब चाहिए इसमें ज़रा सी भी कमी होना।
अंधेरी रात उस पर भी घुमड़ आयी घटा काली,
कि अब तो है जरूरी बादलों में बीजुरी का होना
चिरागों को खबर कर दो कि ये अंधों की बस्ती है,
कोई मतलब नहीं घर उल्लुओं के रोशनी होना।
कमेरे एक हो जाओ अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा,
अभी जो बाकी बचे आंसु,उन्हें ही है नदी होना।
जिन्होंने हाथ से अपनी हिये की फोड़ डालीं हैं,
किसी भी हाल में यारो भला उनका नहीं होना।
नहीं तुम पोंछ सकते गर किसी की आंख का आंसू,
गले मिल साथ में रो लो यही है ज़िन्दगी का होना।
लिखा था 'पाल' होना ही मेरी तक़दीर में शायद,
बहुत मुश्किल हुआ है आदमी का आदमी होना।

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