रविवार, 17 अक्तूबर 2021

कह रहा खुद को खुदा ये कौन है।

 ले रहा पूरा मज़ा ये कौन है,

हम तो दो हैं तीसरा ये कौन है।
आदमी सा दिख रहा पर है नहीं,
रात को दिन कह रहा ये कौन है।
बोलता है झूठ है ख़ामोश सच,
न्याय कैसे कर रहा ये कौन है।
खुशबुओं को रौंद गुलों को मसल,
मुस्कुराता जा रहा ये कौन है।
,
कत्ल कर के रो रहा सोचो जरा,
कह रहा खुद को खुदा ये कौन है।
सो रहा है आग बस्ती में लगी,
ओढ़ कर ख़ामोशियां ये कौन है।
बात में उसकी नहीं है मन मगर,
बात मन की कर रहा ये कौन है।
हैं हमारे बीच में जो दूरियां,
फासलों के दरम्यां ये कौन है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें