भारतीय दर्शन में चार्वाक और सांख्यदर्शन को छोड़कर बाकी के सभी दर्शन ईश्वरीय सत्ता को स्वीकार करते हैं! इन दर्शनों में प्रभू की मर्जी के बिना पत्ता नही डुलता! यहाँ पर सब कुछ ईश्वर पर आश्रित है,जबकि यूनानी और परिवर्ती पाश्चात्य दर्शनों का मनुष्य या तो ईश्वर से स्वतंत्र है या उससे छुटकारा पाना चाहता है! सुकरात,प्लेटो,अरस्तु, एपिक्युरस पाइथागोरस,गेलीलियो,कोपरनिक्स,नीत्से और रूसो को ईश्वर की मदद का इंतजार नही करना पड़ा!
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