कर्म ही मेरा धर्म है, कर्मफल मेरा जीवन है!
जीवन में जो खोया पाया वो मेरा श्रमधन है! 
   सद्कर्म और पुरुषार्थ से, जो प्राप्त होता है
          उसे सात पीढ़ी भोंगती हैं किन्तु
           छल, कपट और अन्याय से जो
            प्राप्त किया जाता है उसे सात 
                      पीढ़ी भुगतती हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें