सनातन धर्म ( स्मार्त मत) के अनुसार आज (आश्विन शुक्ल पक्ष 10 वीं) को दो त्यौहार एक साथ मनाये जा रहे हैं! पहला पुरातन पर्व *विजयादशमी* है! यह पर्व,मां दुर्गा के हाथों दुष्ट महिषासुर बध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है! हिंदुओं का विश्वास है कि दुष्ट महिषासुर,शुम्भ -निशुम्भ और उनके असुर दल का मां जगदम्बे ने बध किया था! इसी याद में उत्तर वैदिक काल से ही आसुरी शक्तियों पर दैवी शक्तियों की विजय के प्रतीक स्वरूप विजयादशमी पर्व मनाया जाता रहा है!
आज ही के दिन( आश्विन शुक्ल 10 वीं) को दशहरा भी मनाया जाता है! आज ही के दिन अयोध्या नरेश,रघुवंशकुलभूषण,मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद ने लंकापति दुष्ट राक्षस रावण ( दशानन) का बध किया था! इस ऐतिहासिक घटना के स्म्रति स्वरूप विश्व का संपूर्ण सनातन धर्मावलंबी समाज * दशहरा* याने दशानन रावण का बध! याने राक्षसकुल का नाश ! आर्यों की राक्षसों पर विजय का प्रतीक *दशहरा* रावण को जलाकर मनाया जाता है, जबकि विजयादशमी का पर्व भगवती माँ के पादपूजन और शस्त्र पूजन करके मनाया जाता है! नई पीढ़ी के हिंदू बच्चों को यह अवश्य जानना चाहिए कि विजयादशमी और दशहरे पर्व में क्या अंतर है?
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