जब कोई सोशल एक्टिविस्ट या प्रसिद्ध अर्थशास्त्री वर्तमान मेंहगाई और विकास दर की गिरावट पर सवाल उठाता है,तो वर्तमान सत्ताधारी नेता अतीत से तुलना करने लग जाते हैं! किंतु वे यह भूल जाते हैं कि सात- आठ साल पहले पेट्रोल,डीजल,एलपीजी, दाल ,तेल और बिजली की मामूली मेंहंगाई तथा भ्रस्टाचार के सवाल पर देश के तमाम जन संगठनों ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलन किये थे! इसीलिये कांग्रेस और यूपीए वाले हारकर सड़क पर आ गये! और अब जिन्हें सत्ता मिली है ,वे भयानक गति से भारत राष्ट्र का *कल्याण* करने पर आमादा हैं!
भाइयो बहिनों, मौजूदा नेताओं को सत्ता से उखाड़ फेंकना चइये कि नई..ई...ई.
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