राज्य औसतन 15 से 20 प्रतिशत टैक्स बसूलता है। मसलन 20000 का सामान खरीदा तो 4000 का टैक्स दिया।
फिर इनकम टैक्स अलग। बाबजूद यात्री ही अपने सामान की रक्षा करें। पुलिस हमें सुरक्षा की गारंटी नहीं देती। इतना टैक्स बसूलने के बाबजूद प्रधानमंत्री वगैरह हमसे चंदा माँगने लगते हैं। सड़क हादसे में लोग मरते जाते हैं। रिश्वत दिए बगैर काम नहीं होते। अपराधी हफ्ता बसूल लेते हैं।
फिर ये राज्य इतने पैसे का करता क्या है। आप कहेंगे मुफ्तखोरों को दो रुपये किलो गेंहू जो देता है इसी में से देता है।
आप अपने शहर के कलेक्टर पर होने वाले खर्चे को जोड़िये फिर उसके अनुपात में दी जा रही सेवाओं का मूल्य आंकिए।
मुफ्त का पैसा कहाँ जा रहा है पता चल जाएगा।
हम जब तक बाबू द्वारा ली गई 100 रुपये की रिश्वत की शिकायत करेंगे परंतु राज्य के इस भयंकर टैक्स सिस्टम और मुफ्तखोरी पर सवाल नहीं उठायेगे, भ्रष्टाचार जारी रहेगा।
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