सभी जागरुक बंधु -बांधव और मित्रगण आज *विश्व खाद्य दिवस* पर संकल्प करें कि हम अन्न का अपव्यय नही होने देंगे! विकास के नाम पर हम उपजाऊ जमीनों पर सीमेंट कांक्रीट की बिल्डगें नही बनने देंगे! न तो हम खुद ठूंस ठूस कर खाएंगे और न ही *अन्न बिगारु पेटुओं* को ज्यादा ठूंसने देंगे! यथा योग्य आहार बिहार और सीधी सरल जीवन शैली हमें तन मन से सुखी और संतुष्ट जीवन प्रदान करती है! जो दो रोटियों को मोहताज हैं,जिनके पास रहने का ठिकाना नही, उन बेसहारा दरिद्र नारायण का हमेशा ध्यान रखें! वेदों ने कहा है :- अन्न ही ब्रह्म है!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें