सदियाँ गुजर गईं, अनेक समाज सुधारक ,अवतार, पीर ,पैगम्बर ,धर्म पंथ स्थापक इस धरती पर आए !
सर पटक- पटक कर चले गए,धर्म गुरु आए,उपदेश दे दे कर थक गए;
किंतु समाज के लोग सुधरे नही...
अगस्त २०१९ में चीन के बुहान में
अचानक एक चाइनीज वाइरस अवतरित हुआ!
और समाज अपने आप सुधर गया
न सगाई का खर्च ,
न बैंड न बाराती ,
न शामियाने ,
न दिखावट ,
न सजावट ,
न बड़े- बड़े विशाल भोज
न अन्न की बरबादी ,
न बाल-विवाह
न शादी का खर्चा ,
न गोद भराई,
न सूरज पूजा,
न मान ,न मन्नत,
न चर्तुमास प्रवेश का ताम-झाम,
न धर्म सभा ,न व्याख्यान ,
न चरण स्पर्श,
न भक्तों का जमावड़ा,
न मंदिरों में टीका लगवाना,
न मंदिरों में मोली बँधवाना ,
न साधु -संतों की वाणी ,
न साधु -संतों के मंत्र काम आये,
न ज्योतिषियों की भविष्यवाणी,
न कोई स्यानों की झाड़-फूंक,
न भव्य अति भव्य जुलूस ,
न रथ यात्राएँ,
न किसी के मरने पर जमघट ,
#न मृत्यु भोज
।।।एक वाइरस ने अपने आप सुधार दिया हमारे समाज को ।।।
हे क्रांतिकारी कोरोना वायरस-
तू तो गजब का समाज सुधारक निकला.........
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें