भारत के जनतंत्र को,लगा भयानक रोग !
राजनीति में छा गए,दक्षिणपंथी लोग !!
नई आर्थिक नीति अब ,करती नए सवाल !
दुनिया के बाज़ार में, भारत क्यों बदहाल !!
क्यों रूपये की हार है,क्यों डालर की जीत !
मेहनतकशों से बैर है,धनवानों से प्रीत !!
क्यों अंधाधुंध निजीकरण,कपट कलेवर युक्त !
चोर-मुनाफाखोर क्यों,हो गए बंधन मुक्त ! !
मौद्रीकरण ठेकाकरण,जन विरोधी नीति!
राष्ट्र सम्पदा बेचकर,गा रहे खुशी के गीत !!
किस कारण से हो रहे,राष्ट्र रत्न नीलाम !
क्यों औने पौने बिक रहे,बीमा टेलीकाम ! !
लोकतंत्र की पीठ पर,लदा माफिया राज !
बिना कमीशन देश में,होय न कोई काज !!
कार्पोरेट्स से कर रहे, नेताजी अनुबंध !
मुनाफाखोरों पर नहीं,अब कोई प्रतिबन्ध!!
उदारीकरण के दौर में,हरदिन छटनी होय!
युवा बेरोजगार बिकल,भारत माता रोय !!
:- श्रीराम तिवारी
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