भारत पर विश्व समुदाय का बेहद दबाव है कि*जम्मु कश्मीर* में तत्काल लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करो! किंतु इसके लिये जम्मू कश्मीर को पुन: राज्य का दर्जा देना पड़ेगा! नतीजा वही *ढाक के तीन पात* आतंकवाद फिर फन फैलाएगा!
ठीक यही समस्या पंडित नेहरू और सरदार पटैल,शास्त्रीजी, इंदिराजी, राजीव गांधी और अटलजी के समक्ष दरपेश रही!किंतु वर्तमान नेत्तव ने देश के पूर्व महान नेताओं पर लाँछन लगाकर केवल अपना राजनैतिक कद बढ़ाने की अवैज्ञानिक दुस्साहस ही किया है!
7-8 साल तो 56 इंच सीने वालों ने भी कश्मीर को सुधारने में लगा दिये हैं,किंतु नतीजा ठनठन गोपाल ! याने *उगलत बने न लीलत केरी भई गति सांप छछूंदर केरी*
रहीम कवि कह गये हैं:-
"बिगरी बात बने नहीं, लाख करे किन कोय!
रहिमन फाटे दूध का,मथे न माखन होय!!"
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