चूल्हा नहीं सुलगत गांव के गरीबों का,
गहर -गहर बरसात गहरावै है !
एलपीजी मेंहंगी,बिजली का पता नहीं,
जनता बेचारी दाल रोटी को ललावे है!!
गरीबी में गीला आटा, सुरसा सी महँगाई ,
निर्धन बस्तियों पै मौत मँडरावै है।
अभिजात्य कोठियों में परजीवी कामिनी,
आइने में गोरीे रंगरूप देख इतरावै है !
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