हर एक स्याह रात के बाद ,
वो नई सुबह जरूर आएगी।
तलाश है ज़िसकी पंछियों को,
वो मौसमे बहार फिर आएगी।।
दैहिक कामनाओं से परे जब,
कोई नयनाभिराम छटा छाएगी!
ख्वाहिशों के उस पार गगन के,
छितिज में जिंदगी मुस्कराएगी!!
समष्टि चेतना को देकर नाम,
जब रूहानी इबादत आएगी!
मानवीय संवेदना की बगिया,
अपने आप खिलखिलाएगी !!
जिंदगी की तान सुरीली हो यदि
समष्टि भी स्वांस के साथ गाएगी!
जीवन व्योम में बज उठेंगे वाद्य वृन्द
नये मानव की नई भोर महकायेगी!!
हर एक स्याह रात के बाद,
वो नयी सुबह जरूर आ्येगी !
Shriram Tiwari
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