हमारी किशोर वय में जब पुरानी बंबईया फिल्मों का दौर था,तब अधिकांस सामाजिक फिल्मों में प्रगतिशीलता के बहाने ब्राह्मण, ठाकुर,बनिया पात्रों को प्राय: लुच्चा,लफंगा और कमीना बताया जाता रहा है! जबकि ईसाई फादर को देवदूत तथा कठमुल्लों और पठानों को फरिश्ता बताया जाता था! विगत कई महिनों से केरल का ईसाई समाज अपने एक बलात्कारी फादर(बाप)को बचाने के लिये एकजुट प्रयास करता देखा गया और बेचारी पीड़ित युवती(ईसाई नन) को उसी के समाज वाले सब मिलकर धमकाते रहे!
उधर अफगानिस्तान में वहां का अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी कितना बहादुर निकला ? जो कि रातों रात बिना लड़े ही पूरा राजपाट लुटेरे हत्यारों के लिये छोड़कर भाग गया! उनकी तीन लाख तथाकथित बहादुर अफगानी पठानों की अमेरिका प्रशिक्षित फौज चूहे की तरह दुम दबाकर भाग खड़ी हुई!
अब दहशतगर्द तालिवानी सरे आम अफगान महिलाओं को बेइज्जत कर रहे हैं, गोली से उड़ा रहे हैं! जनता द्वारा चुनी हुई सरकार गिराने वाले और भारतीय दूतावास को लूटने वाले, तथाकथित पठान कितने सभ्य हैं? कितने सुशील हैं? यह सारा संसार देख रहा है!
इधर भारत में कुछ लोग तालिबान की वकालत कर रहे हैं,कुछ लोग धूर्ततापूर्ण चुप्पी साधे हुए हैं! उन मूर्खों को इतनी भी समझ नही है कि यदि तालिबानी शिक्षित हैं, सभ्य हैं,ईमान वाले हैं,तो अफगानिस्तान के लोग उनसे डरकर भाग क्यों रहे हैं?
दरसल तालिबानी इतने जाहिल काहिल और निर्दयी हैं कि अफगान लोग उनके हत्थे चढ़ने के बजाय किसी दूसरी मौत मरने या किसी दूसरे देश में मरने को तैयार हैं!
अब देखना ये है कि दहशतगर्द तालिबान की अमानवीयता को लेकर सलमान खान, शाहरुख खान,आमिर खान,तैमूर के अब्बा जान कब कौनसी फिल्म बनाने जा रहे हैं! या केवल हिंदुओं को चोट पहुंचाने वाली फिल्में बनाकर हिंदुत्वादी साम्प्रदायिकता को ही खाद पानी देते रहेंगे? ताकि भारत में भी दूसरे रंग का तालिबान सुर्खुरू हो जाए!
तालिवान की तारीफ करते हुए शायर मुनव्वर राणा बोला:- "उत्तरप्रदेश से भाग जाने को जी चाहता है" पता नही इसे यूपी छोड़ने से किसने रोक रखा है?
इसी तरह एक दो कठमुल्ले भी तालिवान का गुणगान करते पाए गये!भारत सरकार को चाहिये कि इन सबको हवाई जहाज में भरकर अफगानिस्तान में छुड़वा दें!
इसी तरह एक दो कठमुल्ले भी तालिवान का गुणगान करते पाए गये!भारत सरकार को चाहिये कि इन सबको हवाई जहाज में भरकर अफगानिस्तान में छुड़वा दें!
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