जियो और जीने दो। ...
मैली हो चुकीं चादरें तमाम सभ्यताओं की जहान में ,
हिमालय की धवलता में अब भी जिन्दा जवानी है !
दाँव पर लग रही सम्पदा अब देशकी विश्व बाजार में,
मत उजाड़ो इस चमनको बिगरी बातको बनानी है !!
करोड़ों को बेरोजगार बनाकर न इतरायें नव धनाढ्य ,
जाना है सबको खाली हाथ चार दिन की जवानी है !
न चलाओ खंजर मजूरों किसानों वतन परस्तों पर ,
जियो और जीनेदो यही धर्म सार यही वेदवाणी है !!
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