गुरुवार, 26 अगस्त 2021

खतरा पड़ोसी राष्ट्रों के मजहबी आतंकवादियों से है !

 दुनिया के जिस किसी देश में वे बहुसंख्यक हैं,वहाँ उन्हें शरियत कानून नही चाहिए और जहां वे अल्पसंख्यक हैं ,वहाँ उन्हें शरियत कानून चाहिये,यदि सरकार नही माने तो दंगा फसाद की आजादी चाहिये! यदि फ्रांस में कोई कार्टून छपता है,तो इन्हें भारत में हिंसक तांडव और तोड़ फोड़ का अधिकार चाहिए! इनमें से कुछ कुटिल तत्व भारत के शुद्ध अहिंसावादी समाज की बहु बेटियोंको प्रेम जालमें फांसने के लिये खुली छूट चाहते हैं!

यदि यही हरकत वे उन देशों में करें, जहाँ इनका बहुमत है,तो वहाँ संगसार कर दिये जायेंगे या तालिबानों की भांति अपनी ही कौम की बहु बेटियों का जीना दूभर करते रहेंगे! भारत में इन्हें लोकतंत्र धर्मनिर्पेक्षता बड़ी प्यारी है!जबकि सीरिया,ईराक,यमन, पाकिस्तान में शरीया कानून लागू हो न हो किंतु अल्पसंख्यक के नाम पर भारत में इन्हें विशेषाधिकार चाहिए। जबकि मुस्लिम बहुल देशों से लेकर मुस्लिम बहुल मुहल्लों तक में किसी सात्विक हिंदू जैन,बौद्ध का सांस लेना मुश्किल हो रहा है!

भारत के जिन हरामजादों ने आनन फानन तालिवान का समर्थन किया था और भारत के खिलाफ जहर उगला था,वे ध्यान से सुन लें कि ISIS ने तालिवान का एक्शन नामंजूर कर दिया है? अब यदि ISIS भी अफगानिस्तान में उपस्थित तालिबान को चकनाचूर करने में कामयाब हो जाए तो ओवैसी और कठमुल्ले किसकी तरफ होंगे? तालिवान या ISIS ?

यदि किसी कबीलाई कौम का स्वभाव 21 वीं शताब्दी में भी हिंसक और बर्बर है और वह दूसरे धर्म मजहबों को काफिर समझकर उन्हें मिटा देने पर आमादा है,शांति प्रिय अहिंसावादी समाजों को नेस्तनाबूद करने पर आमादा हो,तो ऐंसी भयानक अवस्था में पीड़ित और निर्बल समाजों को हक है कि वे एकजुट होकर शैतानी ताकतों का मुकाबला करें! हिंसक भेड़ियों के समक्ष अहिंसा परमो धर्म: नही ,दया करुणा नही, बल्कि "वयम् रक्षाम:" और 'धर्मो रक्षति रक्षित:' का नारा बुलंद करना चाहिये!

भारतीय लोकतंत्र और धर्मनिर्पेक्षता को सर्वाधिक खतरा पड़ोसी राष्ट्रों के मजहबी आतंकवादियों से है ! जो लोग मजहब और राजनीति के शोहदे बन कर खुद के देशों में आग मूत रहे हैं, वे बहुसंख्यक हिंदू समाज को,भारतीय सनातन मूल्यों को,भारतीय लोकतंत्र को खत्म कर सकते हैं!

"अयं निज: परोवेति गणना लघुचेतसाम्! उदार चरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्कम्!!
अथवा
सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया!
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद दुखभाग्वेत!!
* * *
ये भारतीय सनातन परंपरा के प्रमुख सिद्धांत हैं,यही असली हिंदुत्व है!राजनीतिके माध्यम से सत्ता पर अपराधियों की पकड़, नेताओं की लफ्फाजी,राष्ट्रीय संपत्ति अमीरों को देना, मुख्यमंत्रियों के घरों में नोट गिननेकी मशीनों का होना,घटिया सड़कें बनवाना और घटिया पुल बनवाना,मार्केट में जनता को मिलावटी खाद्यान्न बेचा जाना,इनकमटैक्स,सैल्सटैक्स, लोक निर्माण विभाग और आबकारी विभाग को रिस्वत की खुली छूट देकर रिस्वतखोरों से पैसा लेकर,उनके ट्रांसफर पोस्टिंग करना, भ्रस्टाचार पर मौन रहना और बेरोजगारों की भीड़ बढ़ाना,इन सबका मतलब हिंदुत्व नही है!
असली हिंदुत्व वह है जो * प्रस्थान त्रयी* में उल्लेखित है! बाकी सब पूंजीवाद और भेड़िया धसान धनतंत्र है!


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