शनिवार, 7 अगस्त 2021

आजादी के बरसों बाद !

 स्वतंत्रता के भीषण रण में,

सपने देख लड़ी आवाम।
आजादी के बाद मिलेगा,
सबको शिक्षा सबको काम।।
काम के होंगे निश्चित घंटे,
और मेहनत के पूरे दाम।
आजादी के बरसों बाद भी,
मुल्क हुआ इसमें नाकाम।।
जिन्दा रहने की फितरत में ,
निर्धन फिरता मारा मारा है।
सत्ता के मित्रों का कुनबा,
अब लूट रहा धन सारा है।।
कैसा राष्ट्र क्या वतन परस्ती,
जब लोकतंत्र ही बेचारा है।
नंगे भूंखे इंसानों का है नारा,
यह सारा जहाँ 'हमारा' है।।
:-श्रीराम तिवारी !

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